कोरोना के कारण मजबूरी में शुरू हुए वर्क फ्रॉम होम के कई सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। एक अध्ययन के मुताबिक, घर से काम करने के चलते ना केवल कर्मचारियों की कार्यक्षमता में इजाफा हुआ बल्कि उनकी उत्पादकता में भी बढ़ोतरी हुई। उनके तनाव के स्तर में भी गिरावट आई है।
‘आउल लैब्स’ द्वारा किए गए कई सर्वेक्षणों में यह पता चला कि घर रह कर काम करते हुए उत्पादकता कार्यालय में उपस्थित रहकर काम करने से बेहतर थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि औसतन, जो लोग घर से काम करते हैं, वे सप्ताह में एक दिन अधिक काम करते हैं और 47 अधिक उत्पादक होते हैं।
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स्टैंडफोर्ड द्वारा 9 महीनों में 16,000 कर्मचारियों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि घर से काम करने से कार्यक्षमता में 13 की वृद्धि हुई है। प्रदर्शन में यह वृद्धि घर के शांत माहौल और कर्मचारियों की कम थकान के कारण हुई। साथ ही कर्मचारियों ने प्रत्येक शिफ्ट में अधिक समय तक कार्य भी किया। कर्मचारियों में काम के प्रति लगाव देखा गया।
ऑफिस मीटिंग से तनाव
‘आउल लैब्स’ की रिपोर्ट के अनुसार, घर से काम करने वाले 70 कर्मचारियों ने बताया कि कार्यालय में उपस्थित होकर बैठक में शामिल होने का मानसिक दबाव होता है। मीटिंग में रहना रोज नई चुनौती की तरह प्रतीत होता है। तनाव का काम के दौरान प्रदर्शन पर नकारात्मक असर पड़ता है। ‘आउल लैब्स’ के ही सर्वेक्षण में पाया गया कि 64 प्रतिशत कर्मचारी ऐसे हैं, जो हाइब्रिड बैठक पसंद करते हैं।