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New vs Old TAX Slabs: : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को संसद में बजट पेश किया। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले यह मोदी सरकार 2.0 का आखिरी पूर्ण बजट था। जैसा कि सभी लोग उम्मीद कर रहे थे कि सरकार की तरफ से टैक्स में छूट मिलेगी, ठीक वैसा ऐलान भी हुआ है। वित्त मंत्री के बजट भाषण के अनुसार 7 लाख के इनकम वाले व्यक्ति अगर नई टैक्स रिजीम का हिस्सा बनते हैं तो उन्हें कोई कर नहीं देना होगा। सभी टैक्सपेयर्स के सामने अब 2 विकल्प हैं। पहला कि वो पुरानी कर व्यवस्था को अपना लें या फिर वो नई कर व्यवस्था का हिस्सा बन जाएं। आइए जानते हैं कि एक सरकारी कर्मचारी के लिए क्या बेहतर रहेगा।
नई कर व्यवस्था में क्या हैं फायदे
नई कर व्यवस्था के तहत तीन लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं लगेगा। वहीं तीन लाख रुपये से छह लाख रुपये की आय पर पांच प्रतिशत, छह से नौ लाख रुपये पर 10 प्रतिशत, नौ लाख रुपये से 12 लाख रुपये पर 15 प्रतिशत और 12 लाख रुपये से 15 लाख रुपये तक 20 प्रतिशत और 15 लाख रुपये से ऊपर की आय पर 30 प्रतिशत कर लगेगा। साथ ही अगर आपकी आय 15.5 लाख रुपये से अधिक है तो 52,500 रुपये का स्टैंडर्ड डिडिक्शन भी मिलेगा।
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लेकिन इस टैक्स रिजीम को अपनाने वाले करदाता दो बात का ध्यान रखें। पहला कि आप सेविंग जैसे एनपीएस, पीपीएफ आदि पर मिलेन वाली टैक्स छूट को यहां क्लेम नहीं कर पाएंगे। सरल शब्दों में कहें तो 80सी, 80डी , एचआरए आदि के जरिए आप टैक्स की बचत नहीं कर पाएंगे। दूसरा पेंच ये है कि अगर आपकी इनकम 7 लाख रुपये से एक रुपये से भी अधिक हुई तो फिर आपको तय टैक्स स्लैब के हिसाब से कर देना होगा।
पुरानी कर व्यवस्था
इस बार भी सरकार की तरफ से पुरानी कर व्यवस्था में बदलाव नहीं किया गया है। इसी वजह से 2.50 लाख रुपये तक कोई टैक्स नहीं, 2.5 लाख से अधिक और 5 लाख रुपये तक पर 5 प्रतिशत, 5 लाख से अधिक और 10 लाख रुपये तक की आय पर 20 प्रतिशत और 10 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत का टैक्स लगेगा। लेकिन टैक्स पेयर्स के पास यहां एनपीएस, पीपीएफ आदि योजनाओं के जरिए टैक्स में बचत करने का विकल्प रहेगा। बता दें, यही वजह है कि नई कर व्यवस्था बहुत अधिक लोगों को आकर्षित नहीं कर पाई है।
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ITR फाइल करते समय रखें इस बात का ध्यान
आयकर रिटर्न दाखिल करते समय यह जरूर बता दें कि आप किसी कर व्यवस्था का हिस्सा बनना चाह रहे हैं। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो आप डिफॉल्ट तौर पर नई टैक्स रिजीम का हिस्सा हो जाएंगे। बता दें, वेतनभोगी व्यक्ति नई कर व्यवस्था अपनाने के बाद पुरानी कर व्यवस्था में वापस जा सकता है। लेकिन बिजनेस करने वाले लोगों के पास यह सुविधा नहीं है।