छोटे निवेशक शेयर बाजार में बड़ी ताकत बनकर उभर रहे हैं। छोटे निवेशकों की बढ़ती भागीदारी से देश भारत के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज एनएसई पर शेयरों की खरीदारी (डिलीवरी वॉल्यूम) छह साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। यही नहीं उन्होंने 2023 में विभिन्न खंड़ों में कुल 28 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया, जो कि बड़े निवेशकों के कुछ अन्य समूहों की तुलना में काफी अधिक है।
रिटेल निवेशकों के पास अब 60 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति
आंकड़ों के अनुसार, खुदरा निवेशकों के पास अब 60 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति है, जो बाजार में सभी निवेशकों की कुल संपत्ति का करीब पांचवां हिस्सा है। चालू वित्त वर्ष में एनएसई में करीब 15 लाख करोड़ रुपये मूल्य की ट्रेडिंग हुई है, जिसमें से 3.92 लाख करोड़ रुपये मूल्य का कारोबार डिलीवरी खंड में हुआ। डिलीवरी की औसत मूल्य हिस्सेदारी 26.1 फीसद है, जो छह वर्षों में सबसे अधिक है।
इसमें म्यूचुअल फंड (SIP) के माध्यम से किया गया निवेश भी शामिल है। इसके अलावा, कारोबार किए गए शेयरों की संख्या में भी उछाल आया है। कुल ट्रेड किए गए शेयरों में डिलीवरी शेयरों का फीसद 22.5 फीसदी रहा, जो पांच वर्षों में सबसे अधिक है। वित्त वर्ष 2019 में यह 23.04 फीसदी पर था।
शेयर बाजार में लगा रहे बचत का पांच फीसद: बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि 5 से 7 साल पहले तक भारतीय निवेशक बचत का केवल 2.5 से 3 फीसद ही शेयर बाजार में निवेश करते थे। बीते कुछ साल में इसमें बड़ा बदलाव देखने को मिला है। अब रिटेल निवेशक अपनी बचत का 5 फीसद पैसा बाजार में डालने लगे हैं।
यह बदलाव पूरी तरह से भारत की आर्थिक वृद्धि और बढ़ती बचत के कारण आया है। ये वो निवेशक हैं, जिन्होंने बाजार टूटने के दौरान खरीदारी की और एसआईपी के हिसाब से निवेश किया। यही नहीं विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा पैसा निकालने के बाद भी रिटेल निवेशक बाजार में डटे रहे।
स्मॉल और मिड-कैप में सबसे ज्यादा निवेश
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गौरांग शाह ने कहा कि छोटे निवेशक सीधे तौर पर और म्यूचुअल फंड के माध्यम से छोटी और मझोली कंपनियों (स्मॉल और मिड-कैप) में सबसे ज्यादा पैसा लगा रहे हैं। इसके चलते शेयर के डिलीवरी वॉल्यूम में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। छोटे निवेशकों ने चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से जुलाई तक 21,400 करोड़ रुपये बाजार में लगाए।
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वहीं, अगस्त से सितंबर तक दो माह में ही 21,900 करोड़ रुपये का निवेश किया।वित्तीय वर्ष की शुरुआत से अक्टूबर के अंत तक, जबकि निफ्टी 10 फीसदी बढ़ा, निफ्टी मिडकैप 150 इंडेक्स 28 फीसदी और निफ्टी स्मॉलकैप 250 37 फीसद बढ़ा।
एसआईपी में हिस्सेदारी बढ़ी: कोटक एएमसी के प्रबंध निदेशक नीलेश शाह का कहना है कि म्यूचुअल फंड निवेश ने डिलीवरी बढ़ाने में भूमिका निभाई है। जून के बाद से एसआईपी प्रवाह हर महीने रिकॉर्ड ऊंचाई को छू रहा है। एम्फी के आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर में यह 16,928 करोड़ पर था, जो जून में 14,734 करोड़ रुपये था। एसआईपी खातों की कुल संख्या में भी इजाफा देखने को मिला है।
इस वित्त वर्ष में इनकी संख्या 63.6 लाख से बढ़कर 73 लाख हो गई है। वित्त वर्ष 23 में एसआईपी की कुल निवेश हिस्सेदारी 1.56 लाख करोड़ रुपये थी, जो चालू वित्त वर्ष में अब तक 1.07 लाख रुपये तक पहुंच गई है। म्यूचुअल फंड के जरिए छोटे और मिड-कैप फंड में शुद्ध निवेश प्रवाह 39,826 करोड़ रुपये था, जबकि लार्ज कैप से 4974 करोड़ रुपये की निकासी हुई थी।
तेज रुझान रहेगा जारी: बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि यह छोटे निवेशकों का यह तेज रुझान आगे भी जारी रह सकता है, वशर्तें प्रतिकूल वैश्विक परिस्थितयां या घरेलू राजनीतिक हलचल बाजार पर विपरीत प्रभाव नहीं डालती। धन प्रबंधन कंपनी जीक्वांट इन्वेस्टेक के संस्थापक शंकर शर्मा ने कहा कि जब तक अमेरिका में ब्याज दरें स्थिर रहेंगी तब बाजार में तेजी जारी रहेगी।