भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सोमवार को बड़ी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) की मानक संपत्तियों के प्रावधान को लेकर नियम जारी किये। इन इकाइयों की वित्तीय व्यवस्था में बढ़ती भूमिका को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। आरबीआई ने पिछले साल अक्टूबर में एनबीएफसी के लिये पैमाना आधारित नियमन की रूपरेखा जारी की थी। एनबीएफसी के लिये नियामकीय ढांचे में चार स्तर हैं। यह उनके आकार, गतिविधियों और जोखिम की स्थिति के मुताबिक है।
RBI ने क्या कहा?
केंद्रीय बैंक ने सोमवार को जारी परिपत्र में उच्चस्तर (अपर लेयर) वाले एनबीएफसी के बकाया कर्ज को लेकर प्रावधान की दर निर्धारित की। व्यक्तिगत आवासीय कर्ज और लघु एवं सूक्ष्म उद्यमों (एसएमई) को दिये गये ऋण के मामले में प्रावधान की दर 0.25 प्रतिशत तय की गई है। वहीं कुछ अवधि के लिये निम्न ब्याज दर पर दिये गये आवास ऋण के मामले में यह दो प्रतिशत है। एक साल बाद जिस तारीख से ब्याज दर बढ़ेगी, प्रावधान की दर घटकर 0.4 प्रतिशत पर आ जाएगी। वाणिज्यिक रियल एस्टेट – आवासीय मकान (सीआरई – आरएच) क्षेत्र के लिये प्रावधान की दर 0.75 प्रतिशत है। वहीं रिहायशी मकान के अलावा वाणिज्यिक रियल एस्टेट के लिये यह एक प्रतिशत होगा।
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आरबीआई ने कहा कि पुनर्गठित कर्ज के लिये प्रावधान की दर निर्धारित शर्तों के अनुसार होगी। उच्चस्तर की श्रेणी में वे एनबीएफसी शामिल हैं जिन्हें विशेष रूप से आरबीआई के मापदंडों के तहत बढ़ी हुई नियामकीय आवश्यकता के अंतर्गत चिन्हित किया गया है। संपत्ति आकार के संदर्भ में शीर्ष 10 पात्र एनबीएफसी उच्चस्तर की श्रेणी में आते हैं। एनबीएफसी के लिये पैमाना आधारित नियमन के तहत चार स्तर हैं…आधार स्तर, मध्यम स्तर, उच्चस्तर और शीर्ष स्तर।