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NPS से म्यूचुअल फंड्स तक, फाइनेंस बिल से क्या बदल जाएगा, 5 प्वाइंट में समझें

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को फाइनेंस बिल 2023 को सदन के पटल पर रखा और इसे लोकसभा ने 64 आधिकारिक संशोधनों के साथ पारित कर दिया है। इस बिल में नेशनल पेंशन स्कीम यानी NPS के अलावा डेट म्यूचुअल फंड पर टैक्स से जुड़े नियमों में बदलाव का प्रस्ताव है। इसके अलावा बिल में कई अन्य अहम बदलाव के भी प्रस्ताव हैं। बहरहाल, आइए जानते हैं कुछ खास बदलाव के बारे में।

1- बिल के तहत जीएसटी के अंतर्गत विवादों के निपटान को लेकर अपीलीय न्यायाधिकरण की स्थापना का रास्ता साफ हो गया। अपीलीय न्यायाधिकरण नहीं होने की वजह से मौजूदा समय में टैक्सपेयर उच्च न्यायालयों में रिट याचिका दायर करते हैं। बिल में जिन संशोधनों को मंजूरी मिली है उनके मुताबिक जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण की पीठ की स्थापना हर राज्य में की जाएगी हालांकि प्रधान पीठ दिल्ली में होगी। जीएसटी को लागू हुए पांच साल से अधिक समय हो गया है लेकिन इसका अपीलीय न्यायाधिकरण नहीं होने की वजह से जीएसटी के तहत अनसुलझे कानूनी मामले लंबित होते जा रहे हैं। 

2- बिल को पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकारी कर्मचारियों के पेंशन से जुड़े मुद्दों पर गौर करने के लिये वित्त सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित करने की भी घोषणा की। इसके तहत नेशनल पेंशन स्कीम यानी NPS से जुड़े मुद्दों पर मंथन होगा।

3- निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक विदेश में यात्रा के लिये क्रेडिट कार्ड के जरिये भुगतान पर गौर करेगा। इस तरह के भुगतान में स्रोत पर कर कटौती यानी टीडीएस नहीं हो पाती है।   
     
4- बिल के मुताबिक सरकार डेट म्युचुअल फंड में निवेश पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन के रूप में टैक्स लगाएगी। बिल में एक अप्रैल से शुरू होने वाले वित्त वर्ष के लिए कर प्रस्ताव हैं। मंजूरी मिलने पर ऐसी म्यूचुअल फंड योजनाओं के धारक जो अपनी संपत्तियों का 35 फीसदी इक्विटी शेयरों में निवेश करते हैं उन पर उनकी स्लैब के मुताबिक टैक्स लगेगा।

5-सरकार ने फाइनेंस बिल में अन्य संशोधनों के साथ वायदा और विकल्प अनुबंधों पर प्रतिभूति लेनदेन कर या STT बढ़ा दिया है। यह बढ़ोतरी एक अप्रैल से प्रभावी होगी। 

बता दें कि वित्त मंत्री ने एक फरवरी को बजट प्रस्तावों के साथ संसद में पेश वित्त विधेयक में 64 आधिकारिक संशोधन रखे। इसके साथ लोकसभा में विपक्षी दलों के हंगामे के कारण बिना किसी चर्चा के पारित हो गया। संशोधनों के बाद विधेयक में 20 नई धाराएं जोड़ी गई हैं। अब बिल को मंजूरी के लिये राज्यसभा में भेजा जाएगा।

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