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NPS में न्यूनतम तय रिटर्न की गारंटी देने की तैयारी, बचत करने वालों और नौकरीपेशा को मिल सकता है नया विकल्प

पेंशन नियामक पीएफआरडीए नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) के तहत तय रिटर्न यानी मिनिमम अश्योर्ड रिटर्न स्कीम (मार्श) लाने की तैयारी कर रहा है। इसका मकसद एनपीएस को और सुविधाजनक और आकर्षक निवेश विकल्प बनाना है। नियामक इस योजना के लिए सलाहकारों की नियुक्ति करेगा। इसके लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) को लेकर मसौदा प्रस्ताव जारी किया है।

मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस योजना को मूर्त रूप देने के लिए सलाहकारों के लिए सुझाव मांगे हैं। हाल ही में पीएफआरडीए के अध्यक्ष सुप्रतिम दास बंद्योपाध्याय ने कहा था कि पेंशन फंड्स और एक्चुरियल फर्मों से बातचीत की जा रही है। मौजूदा समय में पेशन फंड योजनाओं के तहत प्रबंधित किए जा रहे फंड को मार्क-टू-मार्केट यानी बाजार के आधार पर देखा जाता है और इसमें कुछ उतार-चढ़ाव होते रहते हैं। ऐसे में इनका मूल्यांकन बाजार की स्थिति को देखकर होता है। यही वजह है कि एनपीएस में तय रिटर्न नहीं मिलता है। हालांकि, पीएफआरडीए कानून के मुताबिक न्यूनतम सुनिश्चित रिटर्न की योजना शुरू करने का विकल्प है।

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मसौदा प्रस्ताव के मुताबिक एनपीएस के तहत तय रिटर्न वाली योजना तैयार करने के लिए सलाहकार की नियुक्ति होगी। मसौदे के मुताबिक ऐसी योजना को नियामक के साथ रजिस्टर्ड पेंशन फंड द्वारा पेश करना होगा। वहीं सलाहकारों का काम पेंशन फंड द्वारा मौजूदा और संभावित निवेशकों के लिए न्यूनतम तय रिटर्न योजना तैयार करना होगा।

तय रिटर्न के क्या हैं मायने

एनपीएस में मौजूदा समय में तय रिटर्न नहीं मिलता है। सरकारी बॉन्ड और बाजार में निवेश की वजह से इसमें उतार-चढ़ाव आता रहता है। पीएफआरडीए ने मिनिमम अश्योर्ड रिटर्न स्कीम (मार्श) की बात की है। इसका मतलब है कि योजना में न्यूनतम तय रिटर्न की गारंटी दी जाएगी। इसके तहत निवेश पर नुकसान होने की स्थिति में उसका बोझ संबंधित कंपनी उठाएगी। जबकि लाभ होने पर निवेशक यानी अंशधारक को न्यूनतम तय रिटर्न से अधिक का भुगतान होगा। इस तरह यह बचत खाता और एफडी पर मिलने वाले तय रिटर्न से अलग होगा।

कभी भी निवेश की सुविधा

पेशन फंड नियामक पीएफआरडी ने एनपीएस को आकर्षक बनाने के लिए पिछले कुछ समय में कई कदम उठाए हैं। इसमें निवेश शुरू करने की उम्र 65 से बढ़ाकर 70 कर देना भी शामिल है। इसके अलावा एक साल में तय सीमा के भीतर कितनी भी बार जमा कर सकते हैं। जबकि पहले हर, माह, तिमाही या छमाही या सालाना जमा करने की सुविधा थी। सालाना न्यूनतम सीमा के अतिरिक्त जमा राशि की कोई न्यूनतम सीमा अब नहीं है। पीएफआरडीए का कहा है कि इससे निवेशकों के लिए निवेश करना ज्यादा आसान हो गया है।

एनपीएस में दो तरह का होता है खाता

एनपीएस में दो तरह का खाता है जिसे टीयर1 और टीयर2 कहा जाता है। टीयर1 खाता अनिवार्य श्रेणी का होता है और सभी तरह की टैक्स छूट इसी पर मिलती है। साथ ही सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन इसी के आधार पर तय होती है। जबकि टीयर2 खाता वैकल्पिक श्रेणी का होता है और इसकी सुविधा टीयर1 खाता रहने पर ही मिलती है। हालांकि, टीयर2 खाता में कोई टैक्स छूट नहीं मिलती है लेकिन इसमें से कभी भी राशि निकालने की छूट होती है। जबकि टीयर1 में सेवानिवृत्ति पर ही राशि मिलती है।

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