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देश में पुरानी कारों के तेजी से बढ़ते कारोबार को देखते हुए केंद्र सरकार ने इस व्यवसाय को पारदर्शी बनाने का फैसला किया है। इसके तहत सरकार ने डीलरों की सत्यता की पहचान करने के लिए रजिस्टर्ड वाहनों के डील के लिए प्रमाणीकरण लागू किया गया है। नए नियम एक अप्रैल 2023 से प्रभाव में आएंगे।
सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय की ओर से 22 दिसंबर को जारी अधिसूचना के अनुसार पुरानी कारों के बाजार संबंधी व्यापक नियामक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम, 1989 के अध्याय तीन में संशोधन किया गया है। इसमें पंजीकृत वाहन स्वामी और डीलरों के बीच वाहन की आपूर्ति की सूचना के लिये प्रक्रिया का खुलासा किया गया है। पंजीकृत वाहन को अपने पास रखने के बारे में डीलरों के अधिकारों और दायित्वों को भी स्पष्ट कर दिया गया है।
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डीलरों को यह अधिकार दिया गया है कि वे अपने कब्जे वाले वाहनों के पंजीकरण प्रमाणपत्र-वाहन फिटनेस प्रमाणपत्र के नवीनीकरण, पंजीकरण प्रमाणपत्र की सत्य प्रतिलिपि, एनओसी, स्वामित्व के अंतरण के लिये आवेदन कर सकते हैं।
ट्रिप रजिस्टर रखना अनिवार्य
नियामक उपाय के तौर पर इलेक्ट्रॉनिक वाहन के रख-रखाव सम्बंधी ट्रिप रजिस्टर रखना अनिवार्य कर दिया गया है, जिसमें वाहन के उपयोग करने का पूरा विवरण देना होगा। इसमें गंतव्य स्थान, जाने का कारण, ड्राइवर, माइलेज, समय आदि की पूरी जानकारी देनी होगी। यह नियम पंजीकृत वाहनों के डीलरो-बिचौलियों की पहचान करने और उन्हें अधिकार देने में सहायक होंगे। साथ ही इन वाहनों की खरीद-बिक्री के सम्बंध में धोखाधड़ी से पर्याप्त सुरक्षा भी मिलेगी।
वर्तमान में पुरानी कार खरीद फरोख्त में तमाम समस्याएं सामने आती हैं। जैसे वाहनों के ट्रांसफर के दौरान खरीददार के साथ समस्या, थर्ड पार्टी नुकसान की भरपाई सम्बंधी विवाद, चूककर्ता कौन है, यह तय करने में दिक्कत आदि का समाना करना पड़ता है। ले किन नए नियम लागू होने के बाद यह समस्याएं समाप्त हो जाएगी। विशेषकर देश के सुदूर क्षेत्रों में चोरी की कार बेचने के धंधे पर लगाम लगेगी।