NCLT ने कनोरिया शुगर एंड जनरल मैन्युफैक्चरिंग कंपनी के खिलाफ कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) को वापस लेने की अनुमति दी है। राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLT) की दो सदस्यीय पीठ ने कनोरिया शुगर के वित्तीय लेनदार पंजाब नेशनल बैंक (PNB) को अपनी दिवाला याचिका वापस लेने की अनुमति दी।
पीएनबी और कनोरिया शुगर के बीच समझौता
पीएनबी और कनोरिया शुगर के बीच समझौता होने के बाद यह अनुमति दी गई। चेयरमैन न्यायमूर्ति अशोक भूषण और सदस्य नरेश सालेचा की पीठ ने कहा, “हम लेनदार को धारा सात के तहत दायर आवेदन वापस लेने की अनुमति देते हैं। नतीजतन, 27 अप्रैल 2022 के आदेश के तहत शुरू की गई सीआईआरपी खत्म होती है।”
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क्या है मामला?
एनसीएलटी के आदेश को एनसीएलएटी में चुनौती दी गई थी। अपीलीय न्यायाधिकरण ने 23 मई को लेनदारों की समिति (सीओसी) के गठन पर रोक लगाने का आदेश पारित किया था। बाद में, दोनों पक्षों द्वारा संयुक्त रूप से 31 मई के वन टाइम सेटलमेंट (ओटीएस) प्रस्ताव की एक प्रति के साथ एक अंतरिम आवेदन दायर किया गया था। बैंक ने 49.65 करोड़ रुपये की बकाया राशि के मुकाबले 40 करोड़ रुपये का ओटीएस स्वीकार किया है। एनसीएलएटी ने कहा, “दोनों पक्षों ने उनके बीच मामला सुलझा लिया है।”