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Monetary Policy-मुद्रास्फीति के नीचे आने से ब्याज दरों में और वृद्धि की जरूरत घटी : एसएंडपी

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नयी दिल्ली, सात फरवरी (भाषा) एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स मानना है कि भारत में मुख्य मुद्रास्फीति में क्रमिक आधार पर लगातार कमी आ रही है, ऐसे में 6.25 फीसद के ऊंचे स्तर तक पहुंच चुकी नीतिगत दर में और वृद्धि की जरूरत सीमित रह गई है। भारतीय रिजर्व बैंक रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में आई अड़चनों की वजह से पिछले साल मई से रेपो दर में 2.25 फीसद की वृद्धि कर चुका है। रेपो दर इस समय 6.25 फीसद है।

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रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) बुधवार को नीतिगत दरों पर अपने निर्णय की घोषणा करेगी। एसएंडपी की रिपोर्ट में कहा गया है, ”भारत में मुख्य मुद्रास्फीति लंबे समय उच्चस्तर पर रहने के बाद 2022 की दूसरी छमाही से नीचे आ रही है। वहीं नीतिगत दरें पहले ही 6.25 फीसद के ऊंचे स्तर पर हैं।”

रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति को छह फीसद (दो फीसद ऊपर या नीचे) के स्तर पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे बाहरी कारकों से खुदरा मुद्रास्फीति लगातार 11 माह तक रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से ऊपर रही थी। नवंबर, 2022 में खुदरा मुद्रास्फीति छह फीसद से नीचे आई थी। दिसंबर में यह और घटकर 5.72 फीसद के स्तर पर आ गई। 

आरबीआई रेपो दर में वृद्धि पर लगा सकता है लगाम

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) इस सप्ताह अपनी आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में वृद्धि नहीं करेगा।  अर्थशास्त्रियों ने सोमवार को कहा कि केंद्रीय बैंक की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) मौद्रिक नीति को लेकर उदार रुख को वापस लेने का नजरिया बरकरार रख सकती है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक सोमवार को शुरू हुई। मौद्रिक नीति की घोषणा बुधवार को होगी।

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