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How gold is becoming a hindrance in the path of becoming a 5 trillion dollar economy – 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की राह में कैसे रोड़ा बन रहा सोना , बिजनेस न्यूज

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भारत में सोने के प्रति मोह जगजाहिर है। अपने यहां शादी हो या मुंडन, या फिर दिवाली, धनतेरस और अक्षय तृतिया जैसे त्योहार, सोने की जबरदस्त खरीदारी होती है। सोना आपके लिए समृधि का प्रतीक हो सकता है, लेकिन सोने के प्रति आपका यही मोह भारतीय अर्थव्यवस्था की राह में रोड़ा बन रहा है। सोने की भारी मांग के चलते भारत सोने का सबसे बड़े आयातक देशों में शामिल है। व्यापार घाटे की वजह से हम पांच लाख ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने से पिछड़ रहे हैं।

अभी इसी अक्टूबर में सोने का आयात बढ़ कर करीब-करीब दूना हो गया। इस त्योहारी माह देश में 7.2 अरब डॉलर का सोना विदेशों से खरीदा गया, जबकि इससे एक महीने पहले  सितंबर 2023 में 4.1 अरब डॉलर का सोना आयात किया गया था। यह 95.4 फीसदी की बढ़ोतरी है।

‘बहुत पहले’ बन गए होते 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएम-ईएसी) के अस्थायी सदस्य नीलेश शाह ने सोमवार को कहा कि सोने के आयात की आदत नहीं होती तो भारत ने पांच लाख करोड़ डॉलर के जीडीपी के लक्ष्य को ‘बहुत पहले’ ही हासिल कर लिया होता।

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म्यूचुअल फंड उद्योग के दिग्गज शाह ने कहा कि पिछले 21 वर्षों में भारतीय लोगों ने अकेले सोने के आयात पर लगभग 500 अरब डॉलर खर्च कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि हम 5,000 अरब डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का प्रधानमंत्री का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में काम कर रहे हैं, लेकिन हम सिर्फ एक आदत से दूर रहकर बहुत पहले ही 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बन गए होते। हमने शायद सही वित्तीय निवेश न करके भारत की जीडीपी का एक-तिहाई हिस्सा गंवा दिया है।

सोने के आयात पर 375 अरब डॉलर खर्च

कोटक एसेट मैनेजमेंट कंपनी के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी शाह ने आधिकारिक आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि भारतीयों ने पिछले 21 वर्षों में शुद्ध आधार पर सोने के आयात पर 375 अरब डॉलर खर्च किए हैं। इसके साथ नियमित तौर पर सोने की तस्करी की खबरें भी आती रहती हैं।

इनपुट: भाषा

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