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Go First संकट: बोर्ड सस्पेंड, कर्मचारियों को राहत, अब आगे क्या होगा, समझें

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आर्थिक संकट से जूझ रही प्राइवेट सेक्टर की एयरलाइन गो फर्स्ट (Go First) पर राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) का फैसला आ गया है। NCLT ने गो फर्स्ट की ओर से दायर की गई दिवाला कार्यवाही की याचिका को स्वीकार कर लिया है। अब सवाल है कि इस फैसले के बाद उड़ान सेवाओं का क्या होगा और Go First से जुड़े कर्मचारियों का भविष्य क्या होगा? आइए ऐसे तमाम सवालों के जवाब जान लेते हैं।

सवाल: क्या होगा Go First के कर्मचारियों का?
जवाब:
NCLT ने फैसले में स्पष्ट तौर पर कहा कि गो फर्स्ट एयरलाइन के कर्मचारियों की छंटनी नहीं की जाएगी। मतलब यह कि कर्मचारियों की नौकरी सुरक्षित है। आपको बता दें कि गो फर्स्ट से 5000 कर्मचारी जुड़े हैं।

सवाल: उड़ान सेवाओं का क्या होगा?
जवाब:  
वैसे तो Go First ने 19 मई तक के लिए उड़ान सेवाओं को ठप कर दिया है लेकिन NCLT ने कंपनी से परिचालन बनाए रखने को कहा है।

सवाल: कंपनी से जुड़े फैसले अब कौन लेगा?
जवाब:
कर्ज में फंसी गो फर्स्ट एयरलाइन को चलाने के लिए अभिलाष लाल को अंतरिम पेशेवर नियुक्त किया गया है। वहीं, बोर्ड को भंग कर दिया गया है। मतलब यह हुआ कि कंपनी के फैसले अभिलाष लाल लेंगे। हालांकि, निलंबित बोर्ड से अभिलाष की मदद करने को कहा गया है।

सवाल: Go First को और क्या राहत मिली है?
जवाब:
NCLT ने एयरलाइन कंपनी को किसी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से संरक्षण दिया है। मतलब यह हुआ कि कोई भी कर्ज देने वाला बैंक या लेंडर एयरलाइन के खिलाफ अदालत नहीं जा सकेगा। 

सवाल: Go First ने फैसले पर क्या कहा?
जवाब:
Go First के सीईओ कौशिक खोना ने इसे ऐतिहासिक फैसला बताया है। उन्होंने कहा कि यह कंपनी को पटरी पर लाने के लिये समय पर आया प्रभावी निर्णय है। बता दें कि नकदी संकट से जूझ रही गो फर्स्ट ने 2मई को ऋण शोधन कार्यवाही शुरू करने को लेकर स्वैच्छिक रूप से याचिका दायर की थी। 
    
सवाल: क्यों बन गए ये हालात?
जवाब:
दरअसल, Go First ने 17 साल से अधिक समय पहले उड़ान भरना शुरू किया था। एयरलाइन ने वित्तीय संकट के बीच 3 मई से उड़ानों का परिचालन रोक दिया। प्रैट एंड व्हिटनी से इंजन आपूर्ति नहीं होने के कारण कंपनी के बेड़े में शामिल आधे से अधिक विमान उड़ान नहीं भर पा रहे थे। एयरलाइन पर कुल देनदारी 11,463 करोड़ रुपये है।

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