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7th Pay Commission: बीते शुक्रवार को केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के महंगाई भत्ता यानी DA में 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी। इस मंजूरी के बाद अब कर्मचारियों का DA बढ़कर 42 प्रतिशत हो गया है। इसी तरह, पेंशनर्स के भी महंगाई राहत यानी डीआर में भी 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। हालांकि, अब भी केंद्रीय कर्मचारी कोरोना काल के 18 महीने के बकाया DA की मांग कर रहे हैं। हालांकि, बीते शुक्रवार को केंद्र सरकार की कैबिनेट बैठक में इस पर किसी तरह का फैसला नहीं हुआ है। अब सवाल है कि सरकार का बकाया DA को लेकर क्या इरादा है। आइए समझते हैं।
क्या है सरकार का स्टैंड: दरअसल, केंद्र सरकार ने बकाया DA के मुद्दे पर सदन में कई बार जवाब दिया है। बीते दिनों लोकसभा में इसी तरह के एक सवाल के जवाब में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा- केंद्र सरकार के कर्मचारियों/पेंशनरों को देय महंगाई भत्ता (डीए)/महंगाई राहत (डीआर) की तीन किस्तों को फ्रीज करने का निर्णय कोविड के संदर्भ में लिया गया ताकि सरकारी बोझ कम हो सके। 2020 में महामारी के प्रतिकूल वित्तीय प्रभाव और सरकार द्वारा उठाए गए कल्याणकारी उपायों के कारण बकाया भत्ते को व्यवहार्य नहीं माना जाता है।
बता दें कि सरकार ने कोरोना की वजह से जनवरी 2020 से जून 2021 तक यानी तीन छमाही के महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी के फैसले को फ्रीज कर दिया था। मतलब ये कि इस अवधि में केंद्रीय कर्मचारियों को पुरानी दर से महंगाई भत्ता दिया जा रहा था। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक कर्मचारियों के भत्ते में हर छमाही संशोधन की जरूरत होती है।
अभी कितना बोझ: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जनवरी 2023 से जून 2023 तक के लिए महंगाई भत्ता और महंगाई राहत, में 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। इस वजह से राजकोष पर संयुक्त रूप से प्रभाव प्रति वर्ष 12,815.60 करोड़ रुपये का होगा। हालांकि, इस फैसले से लगभग 47.58 लाख केंद्रीय कर्मचारी और 69.76 लाख पेंशनभोगी लाभान्वित होंगे।