आयकर कानून में अनुमानित आय के आधार पर अग्रिम कर का प्रावधान है। यदि अनुमानित आय के आधार पर 10 हजार रुपये से अधिक की कर देनदारी होती है तो ऐसे करदाता के लिए अग्रिम कर देना जरूरी है।
कब तक जमा होता है अग्रिम कर
अग्रिम कर की गणना में टीडीएस को शामिल नहीं किया जाता है। इसको वित्त वर्ष के दौरान तिमाही आधार पर चार किस्तों में जमा किया जा सकता है। आयकर कानून की धारा 234सी के तहत यदि अग्रिम कर और वास्तविक कर में कोई अंतर होता है तो करदाता को एक प्रतिशत मासिक दर से ब्याज देना पड़ता है। ब्याज की गणना उस तिमाही से होती है जिसमें कम कर का भुगतान किया गया है।
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अगली किस्त में कर सकते हैं अतिरिक्त आय पर कर का भुगतान
Tax Experts का कहना है कि करदाता एक खास अवधि के दौरान होने वाली आय के आधार पर अग्रिम कर की गणना करता है। यदि किसी खास अवधि में करदाता को अतिरिक्त आय होती है तो वह आने वाली किस्तों में अतिरिक्त अग्रिम कर का भुगतान कर सकता है। यदि इस अतिरिक्त आय पर अग्रिम कर का भुगतान नहीं जाता है तो कर में आने वाले अंतर पर ब्याज देना पड़ता है।
आम आदमी के लिए मुश्किल है आय की गणना
कर विशेषज्ञों का कहना है कि आम आदमी के लिए आय की सही गणना करना काफी मुश्किल है। इसका कारण यह है कि आम आदमी एफडी जैसे सामान्य तरीकों से होने वाली आय का अनुमान नहीं लगा पाता है। इसके अलावा आय और कर की विस्तृत जानकारी देने वाला फॉर्म 26एस भी मई के बाद ही अपडेट हो पाता है। ऐसे में अंतिम तिमाही तक आय और कर की सही गणना कर पाना सामान्य आदमी के लिए काफी चुनौतीपूर्ण है।