शेयर बाजार में खुदरा निवेशकों के बढ़ते आकर्षण के बीच स्टार्टअप और नए जमाने की कंपनियों के शेयरों में सूचीबद्धता के बाद तेज गिरावट से सतर्क बाजार नियामक सेबी के सख्त रुख का असर दिखने लगा है। सेबी की ओर से अब तक 24 हजार करोड़ के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) महंगे मूल्यांकन (वेल्यूएशन) की वजह से रोके जा चुके हैं। माना जा रहा है कि सेबी की इस सख्ती से स्टार्टअप और टेक कंपनियों के लिए बाजार में सूचीबद्धता मुश्किल हो सकती है।
छोटे निवेशकों के हितों की सुरक्षा को देखते हुए सेबी ने नए जमाने की कंपनियों की सूचीबद्धता के लिए पुराने मानकों को बदलना शुरू कर दिया है। सेबी के सामने अब नई कंपनियों को अपने शेयर भाव के लिए सभी तरह के औचित्य सिद्ध करने पड़ रहे हैं और उन्हें कई मानकों पर परखा जा रहा है। इस मामले से वाकिफ दो लोगों ने कहा कि सेबी इस बात पर आंतरिक चर्चा कर रहा है कि क्यों कई हाई-प्रोफाइल कंपनियां अपने इश्यू प्राइस से काफी नीचे खिसक गई हैं।
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इससे आईपीओ लाने की इच्छुक कंपनियां अपने वैल्यूएशन पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर हो गई हैं। सेबी ने आईपीओ के लिए दस्तावेज देने वाली कई कंपनियों के विवरण पर रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (डीआरएचपी) के मसौदे की सक्रिय रूप से जांच शुरू कर दी है। नियामक कंपनियों की तुलना या मूल्यांकन कैसे हुआ है, इस पर बहुत स्पष्टीकरण मांग रहा है।
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ईवाई के पार्टनर संदीप खेतान ने कहा, वैल्यूएशन में आई मंदी की वजह से कई स्टार्टअप आईपीओ शायद पीछे हट जाएंगे। ऐसी कई कंपनियां सार्वजनिक होने की इच्छुक हैं; हालांकि, निकट भविष्य में उस क्षेत्र में गतिविधि धीमी होने की संभावना है।
इन कंपनियों पर पड़ सकता है सख्ती का असर
रिसर्च फर्म प्राइम डेटाबेस के अनुसार, आईपीओ लाने की योजना बनाने वाली कंपनियों में वन मोबिक्विक सिस्टम (₹ 1900 करोड़) ले ट्रेवेन्यूज़ टेक्नोलॉजी (₹1600 करोड़), एपीआई होल्डिंग्स (₹6250 करोड़), ओरावेल स्टेज़ (₹8430 करोड़), ड्रूम टेक्नोलॉजी ( 3000 करोड़), स्नैपडील (₹1900 करोड़) और यात्रा ऑनलाइन (₹750 करोड़) शामिल हैं। माना जा रहा है कि इन कंपनियों के आईपीओ में देरी हो सकती है।
सेबी को खुदरा निवेशकों की चिंता
नई कंपनियों और खासकर स्टार्टअप के लिए बाजार नियामक सेबी ने सूचीबद्धता के नियमों को बेहद आसान किया था, लेकिन जोमैटो और पेटीएम के शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने के बाद उनके शेयरों की कीमत में 70 फीसदी तक गिरावट आई है। इससे खुदरा निवेशकों को बहुत नुकसान हुआ है। इसके अलावा कई कंपनियों के शेयर सूचीबद्धता से 50 फीसदी नीचे आ गए हैं। ऐसे में बाजार नियामक सेबी ने नई कंपनियों के लिए सूचीबद्धता के नियमों को सख्त करने और उनके आकलन के लिए कुछ तरीकों पर विचार करना शुरू कर दिया है।
इन मानकों पर परख रहा सेबी
बाजार नियामक ने मुख्य प्रदर्शन सूचकांक (केएफआई) को आधार बनाने की शुरुआत की है। इसके अलावा पूर्व में जुटाई गई पूंजी किस मूल्यांकन पर हुई है और उसके बाद कंपनी का कैसा प्रदर्शन रहा है इसको भी परखा जा रहा है। इसके अलावा कंपनी को कई अन्य तरह के वित्तीय खुलासे भी करने पड़ रहे हैं। इसके अलावा सभी वित्तीय विवरण और उसके दावों का बाहरी ऑडिटर से जांच कराकर रिपोर्ट मांगी जा रही है।