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दुनिया भर के सेंट्रल बैंकों ने साल 2022 में गोल्ड पर बड़ा दांव लगाया है। सेंट्रल बैंकों ने साल 2022 में 1136 टन सोना खरीदा है, जिसकी वैल्यू करीब 70 अरब डॉलर है। यह बात वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) ने कही है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल का कहना है कि 1967 के बाद यह किसी भी साल में सेंट्रल बैंकों की तरफ से की जाने वाली गोल्ड की सबसे ज्यादा खरीद है।
गोल्ड को इसलिए पसंद करते हैं सेंट्रल बैंक
गोल्ड को लेकर सेंट्रल बैंकों का मौजूदा रुख 1990 और 2000 के दशक से बिल्कुल अलग है। उस समय वेस्टर्न यूरोप के सेंट्रल बैंकों (Central Banks) ने अपनी तिजोरी में रखे गोल्ड में से हजारों टन की बिकवाली की। साल 2008-09 के फाइनेंशियल क्राइसिस के बाद यूरोपियन बैंकों ने गोल्ड बेचना बंद कर दिया। रूस, तुर्की और भारत समेत कई उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं ने गोल्ड खरीदना शुरू किया। सेंट्रल बैंक, गोल्ड को इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि करेंसीज और बॉन्ड्स से अलग मुश्किल समय में गोल्ड अपनी वैल्यू को होल्ड करता है।
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गोल्ड से मिलता है डायवर्सिफिकेशन का ऑप्शन
गोल्ड से सेंट्रल बैंकों को डायवर्सिफिकेशन का भी ऑप्शन मिल जाता है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के एनालिस्ट कृष्णन गोपाल का कहना है, ‘सेंट्रल बैंकों में यह ट्रेंड अब लगातार देखने को मिल रहा है।’ तुर्की, चीन, इजिप्ट और कतर के सेंट्रल बैंकों का कहना है कि उन्होंने पिछले साल गोल्ड की खरीदारी की है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल का कहना है कि सेंट्रल बैंकों ने पिछले साल जो गोल्ड खरीदा, उसके करीब दो-तिहाई हिस्से को पब्लिक नहीं किया गया। चीन और रूस के सेंट्रल बैंकों ने अपनी गोल्ड होल्डिंग्स में आ रहे बदलाव की रेगुलर इंफॉर्मेशन नहीं दी है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल का कहना है कि सोने की खरीदारी के मामले में 2022 के लेवल की शायद ही 2023 में बराबरी हो पाए।
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