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सरकार ने डीजल और एटीएफ पर टैक्स किया कम, विंडफॉल टैक्स बढ़ाया

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मोदी सरकार ने कच्चे तेल पर अप्रत्याशित कर (windfall tax) बढ़ाकर ₹2,300 प्रति टन कर दिया है। एक सरकारी अधिसूचना के अनुसार भारत ने कच्चे तेल पर अप्रत्याशित कर यानी विंडफॉल टैक्स बढ़ा दिया है। दूसरी ओर  डीजल और विमानन टरबाइन ईंधन पर टैक्स कम कर दिया है। बता दें अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल और उत्पाद की कीमतों में उतार-चढ़ाव के आधार पर विंडफॉल टैक्स में हर 15 दिन पर संशोधन होता है। 

अधिसूचना के मुताबिक सरकार ने कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स को ₹1,300 से बढ़ाकर ₹2,300 ($27.63) प्रति टन कर दिया है। जबकि, डीजल पर ₹0.5 प्रति लीटर का टैक्स समाप्त कर दिया गया है। एटीएफ पर अप्रत्याशित कर एक रुपये प्रति लीटर था।  इससे पहले 19 दिसंबर को घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क को ₹5,000 प्रति टन से घटाकर ₹1,300 प्रति टन कर दिया गया था। डीजल निर्यात पर SAED को ₹1 प्रति लीटर से घटाकर ₹0.50 प्रति लीटर कर दिया गया है। 

रिलायंस इंडस्ट्रीज  और नायरा एनर्जी प्रमुख खिलाड़ी

बता दें भारत ने जुलाई 2022 में कच्चे तेल उत्पादकों पर विंडफॉल टैक्स लगाया और गैसोलीन, डीजल और विमानन ईंधन के निर्यात पर लेवी बढ़ा दी, क्योंकि निजी रिफाइनर मार्जिन से लाभ कमाने के लिए विदेशों में ईंधन बेचना चाहते थे। भारत में फ्यूल निर्यात में प्रमुख खिलाड़ियों में गुजरात के जामनगर में दुनिया के सबसे बड़े सिंगल लोकेशन तेल रिफाइनरी कॉम्प्लेक्स को ऑपरेट करने वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और रोसनेफ्ट द्वारा समर्थित नायरा एनर्जी शामिल हैं।

विंडफॉल टैक्स क्या है? यह टैक्स सरकार तब लगाती है, जब कोई उद्योग अप्रत्याशित रूप से पर्याप्त मुनाफा कमाता है, जिसका श्रेय आमतौर पर किसी अभूतपूर्व घटना को दिया जाता है। जब वैश्विक बेंचमार्क की दरें 75 डॉलर प्रति बैरल से अधिक हो जाती हैं तो घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स लगाया जाता है। डीजल, एटीएफ और पेट्रोल के निर्यात के लिए लेवी तब लागू होती है, जब मार्जिन 20 डॉलर प्रति बैरल से अधिक हो जाता है। उत्पाद में क्रैक या मार्जिन कच्चे तेल की लागत और तैयार पेट्रोलियम उत्पादों के मूल्य के बीच अंतर को दर्शाते हैं।

 

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