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EPFO on Adani Group: हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद संकट में घिरे अडानी समूह में भारत के सबसे बड़े रिटायरमेंट फंड- कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) का निवेश जारी रहेगा। EPFO का यह निवेश समूह की फ्लैगशिप कंपनी- अडानी एंटरप्राइजेज और अडानी पोर्ट्स में है। बता दें कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद अडानी समूह के शेयर बुरी तरह पस्त हैं तो अडानी समूह पर भारी कर्ज और निवेश के जोखिम को लेकर बहस भी छिड़ी हुई है।
कितना है निवेश
द हिंदू में 27 मार्च की रिपोर्ट में बताया गया है कि EPFO अपने कॉर्पस का 15 फीसदी एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स यानी ETF में निवेश करता है। मार्च 2022 तक EPFO ने ETF में 1.57 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था। वहीं, चालू वित्त वर्ष में 8,000 करोड़ रुपये का निवेश किया। बता दें कि EPFO किसी स्टॉक्स में सीधे निवेश नहीं करता है है। इसके बजाए ETF को चुनता है। यह एनएसई निफ्टी और बीएसई सेंसेक्स से जुड़ा एक्सचेंज होता है। इस एक्सचेंज में अडानी समूह की दो कंपनियां- अडानी पोर्ट्स और अडानी एंटरप्राइजेज भी हैं। अब इसी एक्सचेंज यानी ETF में ईपीएफओ ने निवेश को जारी रखने का फैसला लिया है। रिपोर्ट के मुताबिक ईपीएफओ सितंबर 2023 तक निवेश का सिलसिला जारी रखेगा।
हालांकि, इस पर आखिरी निर्णय ट्रस्ट बैठक में होगा। अगर बैठक में इसके खिलाफ फैसला होता है तो EPFO को इरादा बदलना पड़ सकता है। बता दें कि केंद्रीय न्यासी बोर्ड, जो EPFO का प्रबंधन करता है, अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा के लिए अपनी दो दिवसीय बैठक कर रहा है। EPFO की बात करें तो ये करीब 28 करोड़ फॉर्मल सेक्टर से जुड़े कर्मचारियों की वृद्धावस्था बचत का प्रबंधन करता है।
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ब्याज पर भी पड़ेगा असर
अडानी ग्रुप के शेयरों में गिरावट की वजह से ETF के रिटर्न पर भी असर पड़ने की आशंका है। अगर ऐसा होता है तो ईपीएफओ को ईटीएफ में किए जाने वाले निवेश पर रिटर्न कम मिलेगा। दरअसल, ईपीएफओ की ब्याज दरें भी रिटर्न पर निर्भर होती हैं। कहने का मतलब है कि पीएफ की ब्याज दर पर भी इसका असर पड़ सकता है। बता दें कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद अडानी एंटरप्राइजेज और अडानी पोर्ट्स के स्टॉक 50 प्रतिशत से अधिक गिर चुके हैं।