केंद्र सरकार ने शेयरों में निवेश से होने वाले दीर्घ अवधि पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी) में समानता लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसमें डेट, सूचीबद्ध शेयर और गैर-सूचीबद्ध शेयरों में निवेश से होने वाले लाभ पर लगने वाला कर भी शामिल है। सूत्रों के हवाले से एक अंग्रेजी वेबसाइट की रिपोर्ट में कहा गया है कि कर में समानता लाने के लिए सरकार ने सभी हितधारकों से चर्चा शुरू कर दी है। सूत्रों का कहना है कि दीर्घ अवधि की कर दर में होल्डिंग (निवेश) अवधि में बदलाव हो सकता है। वरिष्ठ कर अधिकारी अभी संभावनाओं का अध्ययन कर रहे हैं। साथ ही सरकार के राजस्व पर पड़ने वाले असर का भी आकलन किया जा रहा है। इस बात का भी आकलन किया जा रहा है कि संभावित बदलाव को किस प्रकार लागू किया जाएगा। सूत्र के मुताबिक, संभावित बदलावों की घोषणा अगले साल की जा सकती है जिन पर इस साल के अंत में सभी हितधारकों की प्रतिक्रिया मांगी जाएगी।
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जानकारों का मानना है कि सरकार सूचीबद्ध शेयरों पर लगने वाले कर की दरें में जल्द बदलाव नहीं करेगी। लेकिन सूचीबद्ध, गैर-सूचीबद्ध और डेट इस्ट्रूमेंट्स में निवेश से होने वाले लाभ पर लगने वाले कर को युक्तिसंगत बनाने की जरूर आवश्यकता है। साथ ही भारतीयों और अप्रवासी भारतीयों पर लगने वाले कर को युक्तिसंगत बनाया जाएगा। यदि सूचीबद्ध शेयरों से होने वाले लघु अवधि और दीर्घ अवधि पूंजीगत लाभ पर कर की दरें बढ़ाई जाती हैं तो इससे संभावित खुदरा और विदेशी निवेशक प्रभावित होंगे। उनका भारतीय शेयर बाजारों में निवेश के प्रति आकर्षण कम होगा।
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मौजूदा कर व्यवस्था
मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक, सूचीबद्ध शेयरों में एक साल से कम अवधि तक के निवेश से होने वाले लाभ पर 10 प्रतिशत टैक्स लगता है। इसी तरह से गैर-सूचीबद्ध शेयरों में कम से कम दो साल तक निवेश से होने वाले लाभ पर 20 प्रतिशत टैक्स देना पड़ता है। गैर-सूचीबद्ध शेयरों में निवेश से होने वाले लाभ पर अप्रवासी भारतीयों (एनआरआई) को 10 प्रतिशत टैक्स देना होता है। डेट फंड में 36 महीने से ज्यादा के निवेश से होने वाले लाभ पर 20 प्रतिशत की दर से टैक्स लगता है।