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अरबपति अनिल अग्रवाल ने कोंकोला कॉपर माइंस (KCM) को सही वैल्यूएशन पर वेदांता लिमिटेड में स्थानांतरित करने की बात कही है। अनिल अग्रवाल का यह बयान ऐसे समय में आया है जब वेदांता रिसोर्सेज (Vedanta Resources) ने जाम्बिया की एक कॉपर माइन कंपनी का मालिकाना हक वापस लिया है। जिस कंपनी का मालिकाना हक वापस लिया गया है, उसका नाम कोंकोला कॉपर माइंस (KCM) है। बता दें कि जाम्बिया सरकार के पास KCM में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी है। वहीं, अनिल अग्रवाल की कंपनी के पास KCM की 79.4 फीसदी हिस्सेदारी है।
क्या कहा अनिल अग्रवाल ने: अरबपति अनिल अग्रवाल ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, ” मेरे समझ से संयुक्त अरब अमीरात और भारत में KCM और वेदांता लिमिटेड के रिफाइनिंग/स्मेल्टर व्यवसायों के बीच तालमेल को ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए।” KCM को सही वैल्यूएशन पर वेदांता रिसोर्सेज से वेदांता लिमिटेड में स्थानांतरित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि KCM की वेदांता रिसोर्सेज में वापसी बिल्कुल सही समय पर हुई है। इसमें दुनिया में कॉपर और कोबाल्ट का सबसे बड़ा भंडार है। अनिल अग्रवाल ने आगे कहा कि कॉपर, दुनिया के डीकार्बोनाइजेशन के लिए एक प्रमुख मेटल है। इसकी भारत में सालाना 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हो रही है।
2004 में अधिग्रहण: अनिल अग्रवाल ने बताया कि वेदांता ने 2004 में KCM का अधिग्रहण किया और अच्छा मुनाफा कमाया। तब वैश्विक कॉपर की कीमतें केवल 4,000 अमेरिकी डॉलर थीं। अब, वैश्विक कॉपर की कीमतें 8,500 अमेरिकी डॉलर के आसपास हैं और टेक्नोलॉजी बहुत बेहतर हैं।
वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने कहा कि KCM और स्टरलाइट कॉपर के एक साथ आने से भारत के विकास के लिए सकारात्मक तालमेल बनेगा। कॉपर भारत के ऊर्जा परिवर्तन के लिए एक महत्वपूर्ण खनिज है। हजारों एमएसएमई सामने आएंगे, जिससे नौकरियां और राजस्व पैदा होगा।