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विदेश में क्रेडिट कार्ड यूज करने पर टैक्स, एक्सपर्ट बोले-ऑनलाइन पेमेंट्स को लगेगा झटका

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टैक्सपेयर्स और एक्सपर्ट्स ने सरकार के एक फैसले की कड़ी आलोचना की है। यह फैसला विदेश में किए जाने वाले क्रेडिट कार्ड ट्रांजैक्शंस को लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के तहत लाने से जुड़ा है। इसके तहत अब विदेश में क्रेडिट कार्ड के जरिए किए जाने वाले पेमेंट्स पर 20 पर्सेंट टैक्स, टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स (TCS) के रूप में लगेगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस फैसले का असर लोगों को फॉरेन ट्रेवल बजट और कैश फ्लो पर पड़ेगा। साथ ही, लोग फॉरेक्स के लिए कैश का रुख करेंगे।

सालाना 250000 डॉलर की है LRS लिमिट
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर ऐसे ट्रांजैक्शंस को ट्रैक करने की चिंता है तो नॉमिनल टैक्स भी पर्याप्त होता। वहीं, अगर चिंता ज्यादा फॉरेक्स आउटगो की है तो लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) की लिमिट घटाने से काम बन जाता। मौजूदा समय में LRS लिमिट सालाना 250000 डॉलर की है। 

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सरकार की दलील, इसलिए लिया गया फैसला
सरकार ने मंगलवार को ही नए फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट (करेंट अकाउंट ट्रांजैक्शंस) रूल्स नोटिफाइड किए हैं। सरकार ने एक सेक्शन को हटा दिया है, जिसके तहत क्रेडिट कार्ड पेमेंट्स को LRS से छूट दी गई थी। सरकार का कहना है कि यह फैसला उन लोगों को रोकने के लिए लिया गया है, जो कि क्रेडिट कार्ड्स के जरिए बड़े खर्चे करके LRS लिमिट को तोड़ते हैं। सरकार का कहना है कि एजुकेशन, हेल्थ, एंप्लॉयीज की बिजनेस विजिट्स पर एक्सपेंसेज और नेटफ्लिक्स, उबर जैसी सर्विसेज के लिए कार्ड पेमेंट्स इसके दायरे के बाहर हैं। 

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फॉरेन करेंसीज खरीदने को मजबूर होंगे लोग
कम से कम एक दर्जन टैक्स एक्सपर्ट्स, प्रोफेशनल्स और एक्सपोर्टर्स ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि विदेश में लगभग सभी ट्रांजैक्शंस पर 20 पर्सेंट TCS लगाने से जुड़ा सरकार का फैसला लोगों को ऑनलाइन पेमेंट्स करने से हतोत्साहित करेगा। साथ ही, लोग मार्केट से डॉलर जैसी फॉरेन करेंसीज खरीदने को मजबूर होंगे। इनमें से कुछ लोगों ने इस बात का खारिज नहीं किया कि इससे अवैध हवाला रूट्स के इस्तेमाल को बढ़ावा मिल सकता है।   

एक टैक्स एक्सपर्ट ने बताया, ‘यह एक सामान्य धारणा है कि एक बार अगर पैसा सरकारी खजाने में चला गया है तो कोई भी रिफंड बड़ा मुश्किल भरा काम है। लोगों पर भला 20% TCS का बोझ क्यों डालना? इसके अलावा, मुकदमेबाजी की संभावना बढ़ेगी।’ लेखक और कंस्टीट्यूशनल एक्सपर्ट अभिषेक ए रस्तोगी का कहना है कि सरकार को इस बारे में दोबारा सोचना चाहिए और 20% से टैक्स घटाना चाहिए। 

डिस्क्लेमर: यहां सिर्फ शेयर के परफॉर्मेंस की जानकारी दी गई है, यह निवेश की सलाह नहीं है। शेयर बाजार में निवेश जोखिम के अधीन है और निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें।

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