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रिपोर्ट: अभी 23 करोड़ लोगों को गरीबी से निकालना चुनौती, गांवों में ज्यादा गरीबी

संयुक्त राष्ट्र (UN) की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने गरीबी उन्मूलन में तमाम उपलब्धियां हासिल की हैं पर अभी भी लगभग 22.89 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं और इन्हें बाहर निकलना चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। यह संख्या और बढ़ने का अनुमान है, क्योंकि मौजूदा आंकड़े 2020 तक के हैं जबकि, कोरोना महामारी की वजह से संकट और बढ़ा ही होगा।

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वर्ष 2015-16 में जो 10 सूबे भारत के सबसे गरीब राज्यों में शामिल थे, उनमें से सिर्फ पश्चिम बंगाल ही बाहर निकला है। ये राज्य बिहार, झारखंड, मेघालय, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, असम, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और राजस्थान हैं।

गांवों में गरीब ज्यादा

संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक, गांवों में रहने वाले 21.2 प्रतिशत लोग गरीब हैं, जबकि शहरों के लिए ये आंकड़ा 5.5 फीसदी है। भारत में 23 करोड़ गरीबों में 90 फीसदी गांवों में हैं।

रिपोर्ट की खास बातें

  • 9.7 करोड़ बच्चे 2021 में गरीबी के चंगुल में थे जो कि किसी भी अन्य देश में मौजूद कुल गरीबों की संख्या से भी अधिक।
  • भारत का बहुआयामी नीतिगत नजरिया बताता है कि समेकित हस्तक्षेप से करोड़ों लोगों की जिंदगी बेहतर बनाई जा सकती है।
  • तमाम प्रयासों के बावजूद कोरोना और खाद्य-ईंधन में महंगाई से दिक्कतें बढ़ीं और पौष्टिक खानपान का संकट आया।
  • गरीबी पर कोरोना महामारी के प्रभाव का इसमें आकलन नहीं क्योंकि इसमें शामिल 71 फीसदी आंकड़े महामारी के पहले के हैं।
  • भारत दक्षिण एशिया का एकमात्र देश ऐसा है, जहां पुरुष प्रधान के मुकाबले महिला प्रधान घरों में गरीबी ज्यादा है। यहां महिला प्रधान घरों के 19.7 लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं, जबकि पुरुष प्रधान घरों के 15.9 निर्धन जीते हैं। देश में 3.9 करोड़ गरीब महिला प्रधान वाले घरों में रहते हैं।

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