केंद्रीय रिजर्व बैंक के एक लेख में सरकारी बैंको के निजीकरण को लेकर की गई टिप्पणी पर बहस छिड़ गई है। अब रिजर्व बैंक ने इस पूरे प्रकरण में सफाई दी है। RBI के मुताबिक, लेख में निजीकरण का विरोध नहीं किया गया है बल्कि कहा गया है कि एक साथ बड़े पैमाने पर बैंकों के निजीकरण के बजाए क्रमबद्ध तरीका फायदेमंद होगा।
क्या कहा आरबीआई ने: रिजर्व बैंक ने एक प्रेस रिलीज जारी करते हुए कहा-यह मीडिया के कुछ वर्गों में रिपोर्ट के संबंध में है जिसमें कहा जा रहा है कि आरबीआई सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के निजीकरण के खिलाफ है। आरबीआई के मुताबिक लेख में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यह भारतीय रिजर्व बैंक के नहीं बल्कि लेखक के निजी विचार हैं।
आरबीआई के मुताबिक लेख के अंतिम पैराग्राफ में अन्य बातों के साथ-साथ उल्लेख किया गया है कि पारंपरिक दृष्टि से सभी दिक्कतों के लिए निजीकरण प्रमुख समाधान है जबकि आर्थिक सोच ने पाया है कि इसे आगे बढ़ाने के लिए सतर्क दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
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लेख में कहा गया है कि सरकार की तरफ से निजीकरण की ओर धीरे-धीरे बढ़ने से यह सुनिश्चित हो सकता है कि शून्य की स्थिति नहीं बने। बता दें कि सरकार ने 2020 में 10 राष्ट्रीयकृत बैंकों का चार बड़े बैंकों में विलय कर दिया था। इससे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या घटकर 12 रह गई है, जो 2017 में 27 थी।