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एक अप्रैल से नया वित्त वर्ष शुरू होने जा रहा। पिछले एक साल में महंगाई की पिच पर खाद्य तेलों ही हालत सूर्यकुमार यादव की तरह हो गई। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ लगातर तीन वनडे मैच में जिस तरह यादव जीरो पर आउट हुए, कमोवेश सरसों, सोयाबीन, सूरजमुखी जैसे खाद्य तेलों की भी हालत ऐसी ही रही। इस अवधि में ये खाद्य तेल बुरी तरह फिसल गए।
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उपभोक्ता मंत्रालय की वेबसाइट पर दिए गए आंकड़ों के मुताबिक 29 मार्च 2022 से 29 मार्च 2023 के बीच आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में सबसे अधिक गिरावट पाम तेल की रही। पिछले एक साल में पाम तेल में करीब 26 फीसद की गिरावट रही और यह 150.64 रुपये से 111.57 रुपये पर आ गया।
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सूरजमुखी तेल की औसत कीमत 183.64 रुपये से 17.15 फीसद टूटकर 152.14 रुपये पर आ गई। वहीं, सरसों तेल 162.55 रुपये से 16.88 फीसद लुढ़क कर 155.74 रुपये पर आ गया। ये खुदरा कीमतें 483 केंद्रों से ली गई हैं। वनस्पति और सोया ऑयल में 12 फीसद से अधिक गिरावट रही। इस दौरान केवल मूंगफली के तेल में करीब चार फीसद का इजाफा हुआ।
नमक, दूध, आटा ने लगाया महंगाई का तड़का
आवश्यक वस्तुओं में शामिल चावल, गेहूं, गेहूं का आटा, दूध, अरहर की दाल और नमक ने महंगाई का तड़का लगाया। यह तड़का आम आदमी को पसंद नहीं आया। दूध की कीमतों में पिछले एक साल में करीब 11 फीसद का उछाल आया। इस बीच, अरहर की दाल करीब 12 फीसद महंगी हो गई। नमक भी अपने तेवर दिखा दिए और करीब 14 फीसद महंगा हो गया। उड़द और मूंग दाल के दाम बढ़ गए।
आलू-प्याज का बुरा हाल
पिछले कई साल प्याज लोगों को रुलाता रहा, लेकिन साल 2022-23 में यह खुद रो रहा है। इस अवधि में यह 18 फीसद से अधिक सस्ता हो कर 28.72 रुपये प्रति किलो से औसतन 23.51 रुपये पर आ गया है। आलू भी 2.80 फीसद सस्ता हुआ है, जबकि टमाटर के रेट में मामूली बढ़ोतरी हुई है।