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भ्रामक विज्ञापनों से निवेशकों को फंसाना होगा मुश्किल, बीमा कर्मचारियों पर भी सख्ती

भ्रामक विज्ञापनों के जरिए ग्राहक को बीमा बेचने पर लगाम लगाने की तैयारी है। भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण यानी इरडा बीमा कंपनियों के मीडिया प्रचार अभियानों जैसे विज्ञापन के लिए नियमों को सख्त करने पर विचार कर रहा है। इसके तहत इन कंपनियों के वरिष्ठ प्रबंधन को बीमा प्रोडक्टों के प्रचार के लिए मीडिया अभियानों को तैयार करने और मंजूरी देने की जिम्मेदारी देने का प्रस्ताव है। इस सिलसिले में इरडा ने बीमा विज्ञापन खुलासा नियमन, 2021 में संशोधन का प्रस्ताव किया है।

प्रस्तावित संशोधन के तहत, प्रत्येक बीमा कंपनी को कम से कम तीन सदस्यों वाली एक विज्ञापन समिति का गठन करना होगा। ये सदस्य विपणन, बीमा संबंधी और अनुपालन कार्यों से जुड़े होंगे। इन संशोधनों का उद्देश्य ग्राहकों के लिए विज्ञापनों को तैयार करने और उन्हें मंजूरी देते समय वरिष्ठ प्रबंधन को जवाबदेह ठहराना है।

25 मई तक हितधारकों से सुझाव मांगे

बीमा नियमक IRDA ने 25 मई तक हितधारकों से सुझाव मांगे हैं। इसके लिए जारी मसौदा ड्राफ्ट में कहा गया कि इस विज्ञापन समिति को प्रोडक्ट प्रबंधन समिति को जवाब देना होगा। विज्ञापन समिति की सिफारिशों की जांच प्रोडक्ट प्रबंधन समिति करेगी और उसके पास विज्ञापनों को मंजूरी देने या खारिज करने का अंतिम अधिकार होगा। इसमें कहा गया है कि प्रोडक्ट प्रबंधन समिति और विज्ञापन समिति स्वीकृत विज्ञापनों को जारी करने के लिए जवाबदेह और पूरी तरह से जिम्मेदार होगी। प्रोडक्ट प्रबंधन समिति ने यह भी कहा कि बीमा कंपनी की रिकॉर्ड को सहेज कर रखने की नीति के अनुसार विज्ञापन वापस लेने की तारीख से कम से कम तीन साल के लिए सभी विज्ञापनों के रिकॉर्ड को बनाए रखना सुनिश्चित करना चाहिए और जरूरत पड़ने पर इसका रिकॉर्ड उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

ड्राफ्ट में बीमा कंपनियों को जारी होने के तीन दिनों के भीतर अपनी वेबसाइट पर विज्ञापन अपलोड करने के लिए उचित मजबूत प्रणाली स्थापित करने के लिए भी कहा गया है। इरडा ने कहा कि बीमा विज्ञापनों को प्रोडक्ट दाखिल करने की प्रक्रिया का अभिन्न अंग माना जाता है। वर्तमान में विज्ञापनों को स्वीकार करने की प्रक्रिया स्वीकृत ‘दाखिल करो और इस्तेमाल करो’ प्रक्रिया और इरडा विज्ञापन विनियमों और परिपत्रों के अनुपालन पर आधारित है।

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बीमा कर्मचारियों पर भी सख्ती

इसके अतिरिक्त हाल ही में नियामक ने बीमा कंपनियों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि सोशल मीडिया के जरिये कंपनी से जुड़ी कोई अप्रमाणित या गोपनीय जानकारी सार्वजनिक नहीं होनी चाहिए। इसके लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने की जरूरत है। इरडा ने कहा कि किसी संगठन की प्रतिष्ठा उसके कर्मचारियों के व्यवहार से काफी हद तक जुड़ी हुई है और सोशल मीडिया का इस्तेमाल इस तरह किया जाना चाहिए, जिससे संगठन के कारोबरा में मूल्य संवर्धन हो।

इनसे बचें बीमा कर्मचारी

इरडा ने सभी बीमा कंपनियों के लिए सूचना व साइबर सुरक्षा दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसमें सोशल मीडिया के खास इस्तेमाल पर एक विशेष भाग है, जिसमें कहा गया है कि कर्मचारियों को किसी भी ब्लॉग, चैट प्लेटफॉर्म, डिस्कशन प्लेटफॉर्म, मैसेंजर साइट या सोशल नेटवर्किंग साइट पर किसी भी अपुष्ट या गोपनीय सूचना को साझा करने से बचना चाहिए।

पोस्ट के साथ लगाएं डिस्क्लेमर

इरडा ने यह भी कहा कि इंटरनेट पर व्यक्तिगत पोस्ट करते समय व्यक्तियों को यह स्पष्ट करना चाहिए कि ये उनके विचार हैं और वे संगठन के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। बीमा नियामक के हिसाब से व्यक्तिगत पोस्ट करते समय यह डिस्क्लेमर साथ में जोड़ने से पढ़ने वालों को किसी प्रकार का भ्रम नहीं होगा।

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