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भारत का विदेशी कर्ज मार्च, 2023 के अंत में मामूली रूप से बढ़कर 624.7 अरब डॉलर पर पहुंच गया। रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। केंद्रीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक इस दौरान ऋण-जीडीपी अनुपात में कमी हुई है। इससे पिछले वित्त वर्ष के अंत में विदेशी ऋण 5.6 अरब डॉलर बढ़कर 619.1 अरब डॉलर था।
भारत के विदेशी ऋण पर जारी आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2023 के अंत में विदेशी ऋण और ग्रॉस घरेलू उत्पाद का अनुपात घटकर 18.9 प्रतिशत रह गया, जो मार्च 2022 के अंत में 20 प्रतिशत था। भारतीय रुपये और येन, एसडीआर और यूरो जैसी प्रमुख मुद्राओं की तुलना में अमेरिकी डॉलर की कीमत बढ़ने के कारण मूल्यांकन लाभ 20.6 अरब अमेरिकी डॉलर रहा।
क्या कहते हैं आंकड़े: आरबीआई के मुताबिक यदि मूल्यांकन लाभ को हटा दिया जाए, तो भारत के विदेशी कर्ज में 26.2 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई। आंकड़ों के मुताबिक मार्च के अंत तक दीर्घावधि ऋण 496.3 अरब डॉलर रहा। यह मार्च, 2022 के अंत की तुलना में 1.1 अरब डॉलर कम है। इस अवधि में विदेशी कर्ज में शॉर्ट टर्म की अवधि (एक साल तक मैच्योरिटी वाले) के ऋण का हिस्सा बढ़कर 20.6 प्रतिशत हो गया, जो एक साल पहले 19.7 प्रतिशत था।