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भारत के रिकॉर्ड 400 अरब डॉलर निर्यात के पीछे की यह है कहानी

कोरोना महामारी के शुरुआती दौर में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के कारोबारियों को इस आपदा में अवसर तलाश करने की अपील की थी। इतका परिणाम ये हुआ कि मौजूदा वित्तवर्ष में भारत ने रिकॉर्ड निर्यात का लक्ष्य हासिल कर लिया है। जानकारों के मुताबिक कोरोना महामारी के दौरन लंबे समय से रुकी खरीदारी बढ़ने लगी है और इसका, पहले से तैयार भारत ने बखूबी फायदा उठाया है।

सरकारी दखल से बढ़ा निर्यात

प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना महामारी के दौरान ही मिशन आत्मनिर्भर भारत के तौर पर दुनियाभर में सभी हितधारकों से सीधे संवाद किया। उन्होंने न सिर्फ भारतीय कारोबारियों बल्कि विदेश में मौजूद भारतीय मिशनों से भी अपने विजन के बारे में बात की। सरकार की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक करीब 200 देशों या जगहों में हो रहे कारोबार पर उनकी सीधी नजर थी।


उनके इस लक्ष्य की वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल लगातार मॉनिटरिंग करते रहे और तकरीबन हर हफ्ते ही निर्यात से जुड़े कारोबारियों के साथ संपर्क स्थापित कर उनकी दिक्कतों का समाधान तलाशते रहे। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सबसे पहले भारत में इससे जुड़ी क्षमता वाले राज्यों की पहचान की गई। फिर ऐसे 480 जिलों को भी निर्यात नेटवर्क से जोड़ा गया जिनके उत्पादों की विदेशों में जरूरत होने वाली थी।

पहले से ही थी अपनी तैयारी 

नॉर्थ इंडिया शिपर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट टी एस अहलूवालिया ने हिंदुस्तान को बताया कि भारत ने कोरोना के दौरान दूसरे देशों में बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए पहले से ही अपनी तैयारी कर रखी थी और जैसे ही दुनिया के तमाम देशों ने सामान की मांग सामने रखी हमारे कारोबारी उसे पूरा करने में जुट गए।

उनके मुताबिक चीन के बाद भारत ही सबसे बड़ा प्रोडक्शन हब है। कोरोना के दौरान कंटेनरों की किल्लत देखते हुए चीन ने सभी पोर्टो से पैसे खर्च कर अपने खाली कंटेनर वापस बुलाने शुरू कर दिए थे। इससे निर्यात के लिए उनका भाड़ा 12-15 हजार डॉलर प्रति कंटेनर हो गया था।

निर्यात के लिए ज्यादा निर्भरता दिखाई

भारत 8-9 हजार डॉलर प्रति कंटेनर के भाड़े पर उससे सस्ता निर्यात कर रहा था। ये भी एक वजह है कि भारत से लोगों ने निर्यात के लिए ज्यादा निर्भरता दिखाई। उन्होंने ये भी बताया कि भारतीय कारोबारियों को शिपिंग लाइन की तरफ से भी मदद मिली। खाली कंटेनर लाने में इन कंपनियों ने सरकार के दखल के बाद प्रभावी कदम उठाए। वहीं, देश में कस्टम में भी सरकार ने ऐसे नियम बनाए कि कंटेनर जल्दी से खाली होने लगे।

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शुरुआती दिनों में यूरोप और अमेरिका में स्क्रीनिंग के चलते पोर्ट जाम हो गए थे जिससे वहां कंटेनर फंसने लगे और यूरोप और अमेरिका में ट्रक चालकों की भी दिक्कत आने लगी। लेकिन हालात सामान्य होने से भारत से निर्यात की रफ्तार भी अब बढ़ने लगी है। सरकार के सीधे दखल के बाद आने वाले दिनों में भी निर्यात में ये बढ़त जारी रहने के आसार हैं।

ऐसे तय किया गया लक्ष्य

  • – इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रधानमंत्री ने निर्देशन किया।
  • – पिछले रुझानों के आधार पर देशों की व्यापार क्षमता का आकलन किया गया।
  • – आकलन में छोटे से छोटे देशों को शामिल किया गया।
  • – 200 देशों के लिए अलग-अलग लक्ष्य तय किया गया।
  • – निर्यात के लिए उत्पाद और राज्य के अनुसार परीक्षण किया गया।
  • – विदेशी मिशनों, प्रभागों, कमोडिटी बोर्डों और उद्योग संगठनों के साथ विचार करके लक्ष्य तय किया गया।
  • ऐसे प्राप्त किया लक्ष्य

  • – सरकार के सभी विभागों ने लक्ष्य प्राप्ति के लिए समन्वय बनाकर काम किया।
  • – नए और उभरते बाजारों-उत्पादों, हिस्सेदारी खो चुके बाजारों पर विशेष ध्यान दिया गया।
  • – निर्यातकों से जुड़ी समस्याओं के जल्द समाधान पर खास ध्यान दिया गया।
  • – एमएसएमई और स्टार्टअप्स को निर्यात के लिए व्हीकल के तौर पर तैयार किया गया।
  • – ज्यादा से ज्यादा राज्यों और जिलों से उत्पादों का चुनाव किया गया।
  • – सभी लक्ष्यों की आक्रामक तरीके से निगरानी की गई।
  • – पीएम मोदी ने समय-समय पर खुद लक्ष्य प्रगति की निगरानी की।
  • – विदेशी मिशनों के साथ समय-समय पर लक्ष्य प्राप्ति की समीक्षा की गई।
  • – राज्य और जिला स्तर पर नजदीकी संपर्क रखा गया।
  • – समस्याओं के तेज समाधान के लिए भागीदारी देशों के साथ बातचीत की गई।
  • – लक्ष्य प्राप्ति के लिए निर्यातकों को समय पर मदद दी गई।
  • लक्ष्य प्राप्ति के मायने
  • – टीम के रूप में काम करने से असंभव लक्ष्य को भी संभव बनाया जा सकता है।
  • – भारतीय उद्योगों का लचीलापन और प्रतिबद्धता दिखाई देती है।
  • – साझेदार देशों के साथ निष्पक्ष और पारस्परिक व्यापार का लाभ।
  • – मेक इन इंडिया ब्रांड में दुनिया का भरोसा।
  • – बढ़ती विनिर्माण प्रतिस्पर्धा और गुणवत्ता जागरूकता में भारत मजबूती से उभरा।
  • – ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधार।
  • – बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा हुए।
  • – वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भर भारत जैसे अभियान सफल रहे।
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