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बैंक जमा पर ब्याज दरें बढ़ने का बड़ा फायदा बैंकों को होता दिख रहा है। ब्याज दरें बढ़ने से केवल 15 दिनों के भीतर बैंकों में चार लाख करोड़ रुपये से ज्यादा जमा हुए हैं। पिछले कई महीनों से बैंकों में जमा राशि में गिरावट देखी जा रही थी। तमाम आंकड़े ये इशारा कर रहे थे कि जितनी कर्ज की मांग है उतना बैंकों के पास राशि जमा नहीं हो रही है। अगर यही हाल रहा तो बैंकों के पास कर्ज देने के लिए नकदी की कमी हो सकती है। ये कमी इसलिए भी थी, क्योंकि आरबीआई के रेपो रेट बढ़ाने के बाद बैंकों ने जिस रफ्तार से कर्ज महंगा किया था, उस रफ्तार से जमा राशि पर ब्याज दरें नहीं बढ़ाई थीं।
निवेशक म्यूचुअल फंड में करने लगे थे निवेश : 2023 में बैंकों को मजबूरन जमा राशि पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी करनी पड़ी। बैंक अब 8 से 8.50 फीसद तक जमा राशि पर ब्याज दे रहे हैं, तो वहीं छोटे फाइनेंस बैंक 9 से 9.50 फीसद तक जमा राशि पर ब्याज का भुगतान कर रहे हैं। बता दें कि आरबीआई ने रेपो रेट को एक साल में 4 फीसद से बढ़ाकर 6.50 फीसद कर दिया था, लेकिन बैंक में जमा राशि पर ब्याज दरें नहीं बढ़ रही थी। ऐसे में बेहतर रिटर्न के लिए निवेशक म्यूचुअल फंड में निवेश कर रहे थे।
बैंकिंग संकट और मंदी की आशंकाओं के बीच फेड ने बढ़ाई ब्याज दरें
जमा राशि पर ब्याज दरें बढ़ाने का दबाव था : बैंकों में जमा होने वाली राशि इस वर्ष के पहले पखवाड़े में 184.5 लाख करोड़ रुपये रही, जो बीते वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 10.2 फीसद ज्यादा है। बता दें कि बैंकों पर जमा राशि पर दरें बढ़ाने का दबाव इसलिए भी बढ़ा, क्योंकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने बजट में महिलाओं के लिए खास जमा राशि योजना का ऐलान किया था। इस योजना के तहत केवल दो साल की अवधि की जमा राशि पर 7.5 फीसद सालाना ब्याज दिया जाना था।
उद्योग भी बैंकों से कम कर्ज ले रहे :बैंकों से औद्योगिक ऋण की दर में गिरावट आई है। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, औद्योगिक ऋण में वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में तेजी आई थी, लेकिन फिर यह घटती चली गई। यह वृद्धि फरवरी में 12 महीने के सबसे निचले स्तर यानी सात फीसद पर आ गई। औद्योगिक कर्ज कम लिए जाने के कारण बैंक के लिए कारोबार का यह क्षेत्र सिमट रहा है। हालांकि, अब इसमें सुधार देखने को मिल सकता है।