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संकटग्रस्त एडुटेक कंपनी बायजू (Byju’s) की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। भारत के कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने बायजू की बही-खाता के निरीक्षण का आदेश दिया है। इसके साथ ही छह सप्ताह में रिपोर्ट भी मांगी है। इससे पहले हिंदू बिजनेस लाइन की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के तहत आने वाले संगठन- गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) ने बायजू के खिलाफ अपनी जांच शुरू कर दी है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वित्तीय रिपोर्टिंग समीक्षा बोर्ड (एफआरआरबी) द्वारा दो वित्तीय वर्ष 2019-20 और 2020-21 के लिए बायजू के वित्तीय विवरणों की समीक्षा करने के बाद यह कदम उठाया गया। हालांकि, बायजू ने इस रिपोर्ट का खंडन किया है कि एसएफआईओ किसी तरह की खामियों की जांच कर रहा है। कंपनी ने मिंट को बताया कि बायजू को एसएफआईओ से किसी तरह का मैसेज नहीं मिला है।
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बता दें कि बायजू अलग-अलग मोर्चे पर संकट का सामना कर रही है। कंपनी के तीन निदेशक- पीक XV पार्टनर्स (सिकोइया कैपिटल इंडिया) के जीवी रविशंकर, प्रोसस के रसेल ड्रेसेनस्टॉक और चैन जुकरबर्ग इनिशिएटिव के विवियन वू ने बायजू बोर्ड से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने संस्थापक रवीन्द्रन के साथ मतभेदों का हवाला दिया। वहीं, बायजू के ऑडिटर डेलॉइट ने भी कंपनी का साथ छोड़ दिया है। बायजू ने अब कॉर्पोरेट प्रशासन के मुद्दों पर विरोध को कम करने के लिए एक बोर्ड सलाहकार समिति (बीएसी) स्थापित करने का निर्णय लिया है। बता दें कि बायजू अपने वेंचर आकाश एजुकेशनल सर्विसेज को आईपीओ के जरिए शेयर बाजार में लिस्टिंग की भी योजना बना रही है।