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फेम योजना के तीसरे दौर में इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बढ़ावा देने वाले कई नए ऐलान किए जा सकते हैं। हिन्दुस्तान को सूत्रों के जरिए मिली जानकारी के मुताबिक इस बार इस योजना के तहत करीब तीस हजार करोड़ रुपए का आवंटन हो सकता है। इस रकम का बड़ा हिस्सा इलेक्ट्रिक बसों में खर्च होने की उम्मीद है। उम्मीद की जा रही है कि सरकार इस साल बजट में इस बारे में रूप रेखा साझा सकती है।
मामले से जुड़े अधिकारी के मुताबिक फेम योजना के तीसरे चरण को लेकर हितधारकों से हुई बातचीत के आधार पर तैयार हो रही फेम-3 स्कीम में आठ हजार करोड़ रुपए की मांग इलेक्ट्रिक दो पहिया के लिए रखी गई है। वहीं 10 हजार करोड़ रुपए के आस पास की रकम इलेक्ट्रिक बसों के लिए रखी जाने का अनुमान है। इसके साथ ही चार हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहनों के लिए दिए जा सकते हैं।
योजना का उद्देश्य पर्यावरण को प्रदूषण से रहित रखना है। ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहनों पर आधारित सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने खास जोर रहने की उम्मीद है। वहीं इस योजना में ई-ट्रैक्टर, हाइब्रिड वाहन और हाइड्रोजन फ्यूल सेल से चलने वाले वाहनों को भी शामिल किया जा सकता है।
अतिरिक्त 10 फीसदी सब्सिडी मिलने के आसार
शुरुआत में इसके लिए कम बजट रहने के आसार हैं और बाद में लोगों के रुझान को देखते हुए इसमें भी बढ़त किए जाने की संभावना रहेगी। इसके अलावा इस योजना में महिलाओं को बढ़ावा देने पर खास फोकस किया जा रहा है। इसमें महिलाओं के नाम पर रजिस्टर्ड ई-वाहनों पर अतिरिक्त 10 फीसदी सब्सिडी दी जा सकती है।
सार्वजनिक वाहनों पर फोकस
आकलन के मुताबिक देश में 2030 तक करीब 8 लाख डीजल बसें इलेक्ट्रिक से बदली जानी हैं। इसमें 2 लाख बसें राज्य ट्रांसपोर्ट से जुड़ी हुई हैं। वहीं 5.5 लाख निजी ऑपरेटरों की हैं। साथ ही 50 हजार बसें स्कूलों और निजी कंपनियों से जुड़ी हुई हैं। बसों को पुख्ता तौर पर इलेक्ट्रिक में ही बदला जाए इसके लिए सरकार इस दिशा में बड़ी छूट का ऐलान कर सकती है।
मौजूदा योजना में बढ़ी रकम
वित्त मंत्रालय ने ई-वाहनों को बढ़ावा देने के लिए फेम योजना के दूसरे चरण के लिए अतिरिक्त 1,500 करोड़ रुपए देने की मंजूरी दी है। वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग के आदेश में कहा गया है कि विभाग 31 मार्च, 2024 तक फेम 2 के तहत बजट आवंटन को 10,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 11,500 करोड़ रुपये करने के प्रस्ताव को मंजूरी देता है। जानकारी के मुताबिक 26 दिसंबर तक सरकार ने योजना के तहत आवंटित दस हजार करोड़ रुपये में से करीब नौ हजार करोड़ करोड़ रुपये खर्च कर दिए हैं।