पेट्रोलियम नियोजन एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ ने मई के लिए घरेलू प्राकृतिक गैस की कीमत 8.27 डॉलर प्रति मीट्रिक मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट निर्धारित की है। अप्रैल में यह 7.12 डॉलर थी। कीमतों में यह बदलाव पिछले महीने पेश किए गए नए घरेलू गैस मूल्य निर्धारण फार्मूले के तहत किया गया है। इसका असर सीएनजी और पीएनजी के दाम पर भी पड़ने की आशंका जताई जा रही है। हालांकि, घरेलू उपभोक्ताओं पर इसका सीधा असर नहीं पड़ेगा।
कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने का हुआ असर
अप्रैल में कच्चे तेल की कीमतों में आई तेजी की वजह से घरेलू प्राकृतिक गैस की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। नए मूल्य निर्धारण मानदंडों के तहत, घरेलू प्राकृतिक गैस की कीमत को कच्चे तेल की कीमतों से जोड़ा गया है और इसकी गणना भारतीय क्रूड बास्केट के मासिक औसत के 10% पर की जाती है। मार्च में भारतीय क्रूड बास्केट की औसत कीमत 78.54 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 81.70 डॉलर हो गई। ओपेक और रूस सहित उसके सहयोगियों द्वारा दो अप्रैल को 1.16 मिलियन बैरल प्रति दिन की आश्चर्यजनक उत्पादन कटौती की घोषणा के बाद पिछले महीने तेल की कीमतें बढ़ीं। बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड 80 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर पहुंच गया।
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उपभोक्ताओं पर सीधा असर नहीं
माना जा रहा है कि इस कदम से उपभोक्ताओं पर सीधे प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है, क्योंकि नामांकित क्षेत्रों से गैस को 6.5 प्रति डॉलर एमएमबीटीयू के बिक्री मूल्य पर अपरिवर्तित रखा गया है। यह कदम उपभोक्ताओं के लिए स्थिर कीमतों को सुनिश्चित करता है। नामांकित क्षेत्रों से गैस का उपयोग मुख्य रूप से पीएनजी और सीएनजी के लिए किया जाता है।
उद्योगों पर पड़ सकता है असर
कीमतों में बढ़ोतरी से स्टील, पेट्रोकेमिकल, उर्वरक और बिजली क्षेत्र पर असर पड़ सकता है। हालांकि, यह देखते हुए कि औद्योगिक खपत का घरेलू गैस खपत बास्केट में बहुत कम हिस्सा है, कीमतों में वृद्धि का उनकी इनपुट लागत पर सीमित प्रभाव पड़ेगा। घरेलू गैस खपत में सीएनजी का बड़ा हिस्सा है। स्टील और पेट्रोकेमिकल्स घरेलू गैस की आपूर्ति के लिए गैर-प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में हैं, जिसका अर्थ है कि प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद ही उन्हें गैस की आपूर्ति की जाएगी।
गैस मूल्य तय करने के लिए नए मानदंड
6 अप्रैल को कैबिनेट द्वारा मंजूर दिशा-निर्देशों से प्राकृतिक गैस की खपत के विस्तार में मदद मिलने की उम्मीद है। इसकी कीमत कम करके इसे उद्योगों के लिए तेल की तुलना में अधिक आकर्षक बना दिया जाएगा। केंद्र का लक्ष्य 2030 तक ऊर्जा मिश्रण में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी मौजूदा 6.5% से बढ़ाकर 15% करना है। इस कदम से पीएनजी और सीएनजी के दाम में कमी आने की उम्मीद है।
55 फीसद करना पड़ता है आयात
भारत अपनी प्राकृतिक गैस आवश्यकता का लगभग 55 फीसद आयात करता है। कतर, संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका, रूस और ऑस्ट्रेलिया बड़े आपूर्तिकर्ता हैं, जो भारत को तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) देते हैं। भारत भी अपना खुद का गैस उत्पादन बढ़ा रहा है। घरेलू एलएनजी का लगभग 83% राज्य द्वारा संचालित ओएनजीसी और ओएलई से आता है।