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प्राइवेट फाइनेंस कंपनियों से वाहन के लिए लोन लेने जा रहे हैं तो जरा ठहरें, पहले पढ़ें यह खबर

अलग-अलग तरीके से ठगी की वारदात को अंजाम देने वाले साइबर ठगों के निशाने पर अब ऐसे लोग भी आ गए हैं, जिन्होंने निजी फाइनेंस कंपनियों से वाहन ऋण ले रखे हैं। साइबर ठग ऐसे लोगों का डाटा जुटाकर दस्तावेज में कमी के चलते ऋण रद्द होने का डर दिखाकर या कम राशि का चेक जमा होने का बहाना कर रुपये ऐंठ रहे हैं। तीन महीने में दिल्ली पुलिस की साइबर सेल के पास इस तरह की सात शिकायतें आई हैं।

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साइबर सेल की जांच में पता चला है कि ऋण देने वाली कंपनियों के यहां से ग्राहकों का डाटा लीक हो रहा है। यह डाटा जालसाजों तक पहुंच रहा है और वे लोगों को कॉल कर रहे हैं। पुलिस उन फाइनेंस कंपनियों से संपर्क साधकर इस बात का पता लगाने का प्रयास कर रही है कि डाटा कहां से लीक हुआ है। फिलहाल, सेल जांच में जुटी है।

इस तरह कर रहे ठगी

साइबर फ्रॉड फाइनेंस कंपनी से किसी तरह उन लोगों का डाटा जुटा रहे हैं, जिन्होंने वाहन ऋण ले रखे हैं। इसके बाद वे उन्हें कॉल कर कहते हैं कि आपने जो चेक जमा किए हैं, वे कम हैं। फिर बदमाश खाते में रुपये मंगा लेते हैं। बदमाश कुछ लोगों को यह डर भी दिखाते हैं कि आपके दस्तावेज में गड़बड़ी है, जिससे ऋण रद्द कर दिया जाएगा। आरोपी गड़बड़ी दूर करने के बहाने रुपये मांगते हैं।

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स्कूटी फाइनेंस कराने वाले को ठगा

साइबर सेल को मिली एक शिकायत के अनुसार, कंपनी से स्कूटी फाइनेंस कराने वाले शख्स को विजय सिंह नाम के व्यक्ति ने फोन किया और खुद को फाइनेंस कंपनी का कर्मी बताया। उसने कहा कि जो चेक दिए थे, वे कम पड़ गए हैं। 20 हजार रुपये जमा कर दीजिए। चेक देने पर रुपये रिफंड हो जाएंगे। इस तरह 20 हजार ठग लिए।

92 हजार खाते में मंगा लिए

एक अन्य शिकायत में पीड़ित ने बताया कि उसने चारपहिया वाहन खरीदा था। उसे एक व्यक्ति ने फोन कर ऋण के दस्तावेज में कमी होने की बात कही और ठीक कराने के एवज में 92 हजार रुपये खाते में जमा करा लिए। पीड़ित ने यह बात फाइनेंस कंपनी के एक अधिकारी को बताई तो ठगी का पता चला।

 

ठगी हो तो क्या करें

गृह मंत्रालय और दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने https://cybercrime.gov.in/ और 1930 नम्बर जारी किया है। ठगी होने पर यहां अपनी शिकायतें दे सकते हैं। साथ ही बैंक/कंपनी को भी फोन और ई-मेल कर अपनी शिकायत दर्ज कराएं।

ये भी जानें

 ऋण देने वाली कंपनी या बैंक कभी भी कर्मचारियों के खाते में रुपये नहीं मंगाते।

बैंक अधिकारी फोन, मैसेज, ई-मेल या किसी लिंक के जरिए बैंकिंग विवरण नहीं मांगते।

 कभी-कभी ठग बैंककर्मी या कंपनी का अधिकारी बनकर समस्या के समाधान के लिए लिंक भेजते हैं। किसी लिंक पर क्लिक न करें और न ही कोई फॉर्म भरें।

केवाईसी के लिए एसएमएस आए तो ध्यान न दें। एसएमएस में दिए गए मोबाइल नंबर पर कॉल न करें। सीधे बैंक या कंपनी के दफ्तर जाएं।

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