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देर से आईटीआर दाखिल करने पर सभी पर नहीं लगता जुर्माना, कुछ मामलों में लास्ट डेट के बाद भी नहीं लगती पेनाल्टी

यदि निर्धारित 31 जुलाई 2022 तक आईटीआर दाखिल नहीं करते हैं तो इसके बाद जुर्माना भरना पड़ेगा। हालांकि, कुछ मामलों में अंतिम तिथि के बाद भी बिना जुर्माना चुकाए आईटीआर दाखिल किया जा सकता है। आइए जानते हैं कि इसके बारे में…

ऐसे लोगों को मिलती है जुर्माने से राहत

आयकर विशेषज्ञों के अनुसार, यदि किसी शख्स की कुल सकल आय मूल छूट सीमा से अधिक नहीं है, तो उसे देर से आईटीआर दाखिल करते समय जुर्माना नहीं देना होगा। इस मामले में आयकर की धारा 234एफ के तहत कोई विलंब शुल्क नहीं लगता है।

टैक्स छूट सीमा का निर्धारण ऐसे

मूल टैक्स छूट सीमा का निर्धारण किसी शख्स द्वारा चुने गए टैक्स रिजीम पर निर्भर करता है। यदि कोई व्यक्ति नए टैक्स रिजीम का विकल्प चुनता है तो उसके लिए बेसिक छूट सीमा 2.5 लाख रुपये होगी। चाहे वह किसी भी उम्र का हो।

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 वहीं, यदि कोई शख्स पुराने टैक्स रिजीम का विकल्प चुनता है तो बेसिक छूट की सीमा व्यक्ति की उम्र पर निर्भर होती है। अभी 60 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति के लिए यह छूट 2.5 लाख रुपये है। 60 वर्ष और उससे अधिक लेकिन 80 वर्ष से कम आयु के वरिष्ठ नागरिकों के लिए तीन लाख रुपये तक की आय कर से मुक्त है। 80 वर्ष से अधिक आयु वालों के लिए बेसिक छूट सीमा पांच लाख रुपये तक है।

फिर भी आरटीआर दाखिल करना अनिवार्य

इस नियम के दो अपवाद भी हैं। एक अपवाद यह है कि कुछ मामलों में आईटीआर दाखिल करना अनिवार्य है, भले ही व्यक्ति की कुल सकल आय मूल छूट सीमा से कम ही हो। अगर कोई व्यक्ति धारा 139(1) के सातवें प्रावधान में दी गई किसी भी शर्त को पूरा करता है तो उसे अंतिम तिथि तक अनिवार्य रूप से आईटीआर दाखिल करना होगा। ऐसा नहीं करने पर धारा 234एफ के तहत जुर्माना लगाया जाएगा।

धारा 139(1) के सातवें प्रावधान की शर्तें

  • जिसने विदेश यात्रा के लिए अपने या किसी अन्य व्यक्ति के लिए दो लाख रुपये से अधिक की राशि या कुल राशि खर्च की हो।
  • जिन्होंने बिजली की खपत के लिए एक लाख रुपये से अधिक की राशि खर्च की हो।
  • जिन लोगों ने किसी बैंकिंग कंपनी या को-ऑपरेटिव बैंक में रखे एक या अधिक चालू खातों में एक करोड़ रुपये से अधिक की राशि जमा की हो।
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