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थोक महंगाई के मोर्चे पर थोड़ी राहत, रिजर्व बैंक के लिए अब भी टेंशन

Wholesale inflation: भारत की थोक महंगाई के आंकड़े जारी कर दिए गए हैं। सितंबर माह में थोक मुद्रास्फीति (WPI) घटकर 10.70% हो गई, जो अगस्त 2022 में 12.41% थी। ये आंकड़े अब भी केंद्रीय रिजर्व बैंक की निर्धारित लिमिट से ज्यादा हैं। ऐसे में महंगाई को कंट्रोल करने के लिए रिजर्व बैंक अभी और जोर लगा सकता है। महंगाई कंट्रोल के लिए यह संभव है कि आगामी मौद्रिक नीति की बैठक में एक बार फिर रेपो रेट में बढ़ोतरी की जाए। 

सितंबर, 2022 में WPI के तहत खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 8.08% हो गई, जो अगस्त, 2022 में 9.93% थी। सितंबर माह में खनिज तेल, खाद्य पदार्थों, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, रसायन और रासायनिक उत्पादों, बुनियादी धातुओं, बिजली, वस्त्र आदि की कीमतों में वृद्धि की वजह से महंगाई बढ़ी है।

खुदरा महंगाई में हुआ था इजाफा: सितंबर माह के दौरान खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 7.41% हो गई, जो लगातार नौवें महीने रिजर्व बैंक की लिमिट से ज्यादा है। सितंबर 2022 में खाद्य मुद्रास्फीति 8.60% बढ़ गई, जबकि अगस्त में यह 7.62% थी।

आरबीआई की टेंशन: महंगाई कंट्रोल में नहीं आने की वजह से आरबीआई की टेंशन बढ़ने वाली है। बता दें कि इस साल आरबीआई ने अब तक चार बार रेपो रेट में 190 बेस प्वाइंट की वृद्धि की है। इसके बावजूद महंगाई काबू में नहीं है। रिजर्व बैंक अधिनियम के तहत अगर मुद्रास्फीति के लिये तय लक्ष्य को लगातार तीन तिमाहियों तक हासिल नहीं किया गया है, तो आरबीआई को केंद्र सरकार को रिपोर्ट देकर उसका कारण और महंगाई को रोकने के लिये उठाये गये कदमों के बारे में विस्तार से जानकारी देनी होती है। 

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