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बीते कुछ दिनों से कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) से जुड़े कर्मचारी हायर पेंशन को लेकर काफी कन्फ्यूज हैं। दरअसल, बीते साल नवंबर महीने में सुप्रीम कोर्ट ने हायर पेंशन पर एक आदेश जारी किया था। कोर्ट के आदेश के बाद EPFO ने हायर पेंशन का विकल्प चुनने की अनुमति देने के लिए एक सर्कुलर जारी किया है। इस सर्कुलर की डेडलाइन 4 मार्च 2023 तक के लिए है। आइए समझते हैं कि आखिर सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या है और EPFO के सर्कुलर में क्या बातें कही गई हैं। इसके साथ ही ये भी समझने की कोशिश करेंगे कि इसका असर EPFO से जुड़े किस तरह के मेंबर्स पर पड़ने वाला है।
क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला: नवंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश दिया था। इस आदेश के मुताबिक EPFO के जो भी सदस्य एंप्लॉयीज पेंशन स्कीम (EPS) के मेंबर हैं, वे अब शर्तों के साथ हायर पेंशन के लिए कंट्रीब्यूशन कर सकते हैं। आसान भाषा में समझें तो EPS मेंबर रिटायरमेंट के बाद ज्यादा पेंशन चाहते हैं तो इसके लिए कुछ शर्तों का पालन करना होगा और फिर ज्यादा पेंशन ले सकेंगे।
EPS क्या है: साल 1995 में EPFO के अधीन एंप्लॉयीज पेंशन स्कीम (EPS) को अस्तित्व में लाया गया। इसका मकसद कर्मचारियों के सुरक्षित भविष्य के लिए कंपनियों द्वारा कंट्रीब्यूशन देना था। इस पेंशन फंड में पात्र कर्मचारियों के लिए कंपनी मूल वेतन का 8.33 प्रतिशत जमा करती है।
कंट्रीब्यूशन का हिसाब समझिए: एक नौकरीपेशा शख्स की सैलरी का एक हिस्सा प्रॉविडेंट फंड या PF भी होता है। कर्मचारी को PF में बेसिक सैलरी का 12 प्रतिशत कंट्रीब्यूट करना होता है। इसी तरह, कंपनी भी बेसिक सैलरी का 12 प्रतिशत कंट्रीब्यूट करती है। कर्मचारी का पूरा योगदान PF अकाउंट में जाता है लेकिन कंपनी का कंट्रीब्यूशन बंट जाता है। कंपनी अपने कर्मचारी की बेसिक सैलरी का 8.33 प्रतिशत एंप्लॉयीज पेंशन स्कीम (EPS) खाते में जमा करती है। इसके अलावा कंपनी बचे हुए 3.67 प्रतिशत PF अकाउंट में जमा करती है। कहने का मतलब है कि कर्मचारी, एंप्लॉयीज पेंशन स्कीम (EPS) में योगदान नहीं करते हैं।
अभी क्या स्थिति है : एंप्लॉयीज पेंशन स्कीम (EPS) की शुरुआत के समय हायर पेंशन योग्य सैलरी 5,000 रुपये प्रति माह था। इसे बाद में बढ़ाकर 6,500 रुपये और 1 सितंबर, 2014 से 15,000 रुपये प्रति माह कर दिया गया। वर्तमान में कर्मचारी के लिए कंपनी का पेंशन कंट्रीब्यूशन 15000 रुपये का 8.33% यानी 1,250 रुपये है। EPS के तहत आने वाले कर्मचारियों को 58 वर्ष की उम्र के बाद पेंशन मिलती है।
हालांकि, इसके लिए जरूरी है कि कर्मचारी ने कम से कम 10 वर्ष की सेवा की है और 58 वर्ष की उम्र में सेवानिवृत्त हुए हैं। यदि कोई सदस्य 50 और 57 वर्ष की उम्र के बीच रोजगार छोड़ता है, तो वे कम पेंशन का लाभ उठा सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद क्या बदला: 1 सितंबर 2014 या उसके बाद जो कर्मचारी EPS में शामिल हुए हैं, अगर उनकी बेसिक सैलरी 15 हजार रुपये प्रति महीने से अधिक है तो वह EPS के पात्र नहीं होंगे। वर्तमान में अधिकतम पेंशन योग्य सैलरी अभी भी 15 हजार रुपये प्रति माह है। अभी बेसिक सैलरी 15 हजार रुपये से अधिक है तो पेंशन में नियोक्ता यानी कंपनी के योगदान की गणना 15 हजार रुपये के बेसिक सैलरी पर जारी रहेगी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश को चार महीने के भीतर लागू करना था। इसका मतलब है कि 4 मार्च 2023 तक आदेश लागू होगा। आपको बता दें कि इस आदेश को भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की तीन-न्यायाधीशों की खंडपीठ ने दिया था।