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जीएसटी चोरी में अब मनी लॉन्ड्रिंग की जांच भी होगी, अब ED की भी रहेगी नजर

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मोदी सरकार ने बड़ा फैसला करते हुए जीएसटी नेटवर्क (GSTN को धन शोधन रोकथाम कानून (PMLA) के दायरे में ला दिया है। इसके तहत प्रवर्तन निदेशालय (ED) को जीएसटी नेटवर्क के साथ सूचना साझा करने की अनुमति दे दी गई है। इस कदम से जीएसटी चोरी या फर्जी चालान बनाकर आईटीसी का दावा करने वालों के खिलाफ ईडी भी जांच कर सकेगा और उनके पर धन शोधन रोकथाम कानून के तहत मुकदमा चलाया जा सकेगा।

सरकार ने धन शोधन रोधक कानून के प्रावधानों में संशोधन करते हुए इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। केंद्र सरकार जीएसटी में फर्जीवाड़ा रोकने के लिए राज्यों के साथ मिलकर साझा कार्रवाई कर रही है। बीते कुछ महीनों में जीएसटी में फर्जीवाड़े के आंकड़े बढ़े हैं। कई कंपनियों के खिलाफ भारी रकम छिपाने के मामले भी उजागर हुए हैं। सरकार का मानना है कि कई फर्जी कंपनियों ने जीएसटी के तहत पंजीकरण तो करा लिया है, लेकिन वे विदेशी मुद्रा का उल्लंघन कर रही हैं। वहीं, कई कंपनियां फर्जी बिल के जरिए कर की चोरी कर रही हैं। ऐसे में अधिसूचना के बाद जीएसटीएन के डाटा की पूरी जानकारी ईडी को दी जाएगी।

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मुखौटा कंपनियों का खुलासा होगा: कर विशेषज्ञों का कहना है कि पीएमएलए के तहत जीएसटीएन को अधिसूचित करने से एक ऐसा कानूनी ढांचा तैयार होगा, जिससे बड़ी कर चोरी करने वाले लोगों पर शिकंजा कस उन्हें बकाया कर भुगतान करने के लिए बाध्य किया जा सकेगा। इनमें ऐसी मुखौटा कंपनियों भी शामिल होंगी, जो फर्जी जीएसटी पंजीकरण करके कर की चोरी शामिल होती हैं। जीएसटीएन संभावित कर अपराधियों के बारे में प्रासंगिक जानकारी संबंधित अधिकारियों को दे सकता है ताकि जरूरी कार्रवाई शुरू की जा सके।

क्या है जीएसटीएन: जीएसटीएन अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था की प्रौद्योगिकी को संभालता है और रिटर्न, कर दाखिल करने के ब्योरे व अन्य अनुपालन सहित जीएसटी से संबंधित सभी सूचनाओं का संग्रहण करता है। धन शोधन रोधक अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों में संशोधन के अनुसार, जीएसटीएन को उन इकाइयों की सूची में शामिल किया गया है, जिनके साथ ईडी सूचना साझा करेगा।

ये संस्थाएं पीएमएलए के दायरे में: पीएमएलए के तहत जीएसटीएन को जानकारी का खुलासा करने की कोई शक्ति नहीं थी। इस अधिसूचना के साथ जीएसटीएन को अब सूची में शामिल कर लिया गया है। इससे पहले पिछले साल नवंबर में सरकार ने ईडी को आर्थिक अपराधियों की जानकारी गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ), भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) और राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के साथ साझा करने की अनुमति दी थी।
15 हजार करोड़ की कर चोरी पकड़ी:  जीएसटी अधिकारियों ने देशभर में चलाए जा रहे अभियान के तहत अबतक 4,900 से अधिक फर्जी जीएसटी पंजीकरण रद्द किए हैं। इसके अलावा अभियान में 17,000 ऐसी जीएसटी पहचान संख्या (जीएसटीआईएन) की पहचान की गई है, जो मौजूद नहीं हैं। अधिकारियों के अनुसार इन मामलों में 15,000 करोड़ रुपये से अधिक की जीएसटी चोरी का पता चला है। करीब 1,506 करोड़ रुपये का इनपुट कर क्रेडिट (आईटीसी) ब्लॉक किया गया है और 87 करोड़ रुपये की कर वसूली हुई है।

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