अक्टूबर में खुदरा महंगाई में कमी आने के बावजूद खाद्य पदार्थों की कीमतों को लेकर चुनौती बनी हुई है। इसका कारण है कि खाद्य महंगाई में मामूली गिरावट ही दर्ज की गई है। अक्टूबर में यह 6.61 फीसद रही, जबकि सितंबर में यह 6.62 फीसद थी। अक्टूबर में प्रमुख खाद्य उत्पादों में बढ़ोतरी देखने को मिली है। आर्थिक विशेषज्ञों ने भी नवंबर और दिसंबर में प्रमुख महंगाई दर में उछाल आने के आसार व्यक्त किए हैं।
सोमवार को जारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़ों के मुताबिक, दाल, फल, अंडे, चीनी की कीमतों में इजाफा देखने को मिला। हालांकि, सब्जियों के दाम कम हुए। हालांकि, अक्टूबर के आखिर तक आते-आते सब्जियों की कीमतों में तेजी देखी गई। खासकर प्याज की कीमतों लगातार तेजी आई।
विशेषज्ञों ने जताया अनुमान
हाल ही में मिंट के एक सर्वे में देश के प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने भी सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका जताई है। उनका कहना है कि यदि ऐसा होता है तो खुदरा महंगाई को लेकर उनके पूर्वानुमान पर जोखिम पैदा हो सकता है।
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बार्कलेज के अर्थशास्त्री राहुल बाजोरिया ने कहा कि खुदरा महंगाई अक्टूबर में धीमी हो गई है, लेकिन यह राहत फौरी तौर पर रह सकती है। क्योंकि प्याज की कीमतें चढ़ रही हैं। खराब न होने वाले खाद्य पदार्थों की कीमतों पर भी दबाव भी बना हुआ है। इसके चलते नवंबर और दिसंबर में मुख्य महंगाई दर में कुछ इजाफा भी देखने को मिल सकता है।
कितने चढ़े सब्जियों के दाम
आंकड़ों के मुताबिक, रोजाना आधार पर खाद्य कीमतों से पता चलता है कि अक्टूबर में प्याज की कीमतें मासिक आधार पर 10.9 फीसद बढ़ी हैं। हालांकि, इस दौरान टमाटर की कीमतों में 9.3 फीसद की गिरावट आई है। आलू के दाम मामूली घटे हैं।
खुदरा महंगाई में प्याज का भार 0.64 फीसद और टमाटर का 0.57 फीसद है। गौरतलब है कि सब्जियों के दाम जुलाई में 15 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए थे। बढ़ती कीमतों के कारण सरकार को चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना पड़ा और प्याज के निर्यात पर शुल्क बढ़ाना पड़ा।
पांच फीसद से अधिक का अनुमान: भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने अक्टूबर बैठक में चालू वित्त वर्ष 2023-24 में खुदरा मुद्रास्फीति 5.4 फीसद रहने का अनुमान लगाया है। यह 2022-23 के 6.7 फीसद के मुकाबले कम है।
सरकार ने आरबीआई को खुदरा महंगाई दर दो फीसद घट-बढ़ के साथ चार फीसद पर रखने की जिम्मेदारी दी हुई है। केंद्रीय बैंक द्विमासिक मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है।
इस साल खुदरा महंगाई की चाल
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वस्तुएं सितंबर अक्तूबर