आने वाले वक्त में डॉलर की अहमियत कम हो सकती है। दरअसल, भारत पूर्वी एशियाई देशों और एशियाई क्लियरिंग यूनियन (एसीयू) के सदस्यों के साथ राष्ट्रीय मुद्राओं में ट्रेड सेटलमेंट मैकेनिज्म तैयार करने की संभावना तलाश रहा है। भारत जिन देशों के साथ राष्ट्रीय मुद्राओं में ट्रेड सेटलमेंट मैकेनिज्म तैयार करने की संभावनाएं तलाश रहा है उनमें चीन, जापान, कोरिया, ताइवान और हांगकांग प्रमुख हो सकते हैं। वहीं, एसीयू की बात करें तो यह संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (ईएससीएपी) की पहल पर 1974 में स्थापित किया गया था। यह एक पेमेंट सिस्टम है। इसके तहत बांग्लादेश, भूटान, भारत और ईरान के केंद्रीय बैंक शामिल हैं।
क्या है मकसद: भारत सरकार के इस कदम का मकसद वैश्विक वित्तीय प्रणाली में अधिक स्थिरता लाने के साथ ही भारतीय रुपये का अंतर्राष्ट्रीयकरण करना है। इसके अलावा, यूएस डॉलर जैसी करेंसी पर निर्भरता कम करने की भी योजना है। बता दें कि ईरान की सरकार ने इंटरनेशनल ट्रेडिंग के लिए डॉलर को हटाने का आह्वान किया है। ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद (सीएचएस) की 23वीं बैठक को एक वीडियो लिंक के माध्यम से संबोधित करते हुए यह ऐलान किया।
2022 में हुई थी शुरुआत: भारतीय रिजर्व बैंक ने साल 2022 में इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट के लिए मैकेनिज्म तैयार किया था। आरबीआई ने इस बारे में बैंकों को निर्देश भी दिए और कहा कि बैंक भारतीय मुद्रा में आयात एवं निर्यात के निपटारे के लिए अतिरिक्त इंतजाम करें। बैंकों को यह व्यवस्था लागू करने के पहले उसके विदेशी मुद्रा विभाग से पूर्व-अनुमति लेना जरूरी किया गया था।
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बता दें कि भारत लगभग 18 देशों के साथ इसी तरह की व्यवस्था के तहत ट्रेडिंग कर रहा है। इसके लिए लगभग 60 विशेष रुपया वोस्ट्रो खाते (एसआरवीए) खोले गए हैं। जानकारों की मानें तो इससे न सिर्फ भारतीय व्यवसायों को अधिक डील की शक्ति मिलेगी, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी। 60 वोस्ट्रो खाते वैश्विक स्तर पर रुपये को मजबूत करेंगे और व्यापार घाटे को कम करने में मदद करेंगे। भारत में वोस्ट्रो खाते वाले 18 देश हैं बोत्सवाना, फिजी, जर्मनी, गुयाना, इज़राइल, केन्या, मलेशिया, मॉरीशस, म्यांमार, न्यूजीलैंड, ओमान, रूस, सेशेल्स, सिंगापुर, श्रीलंका, तंजानिया, युगांडा और यूके। बता दें कि वोस्ट्रो खाता में घरेलू बैंक विदेशी बैंकों के लिए घरेलू मुद्रा रखते हैं।
दूसरे देश भी बदल रहे मूड: ऐसा नहीं है कि सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के दूसरे देश भी राष्ट्रीय मुद्राओं पर फोकस कर रहे हैं। जर्मनी और यूके जैसे कुछ विकसित देश भी व्यापार के लिए अमेरिकी डॉलर के बजाय राष्ट्रीय मुद्राओं का उपयोग करने पर सहमत हुए हैं।