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क्यों डूबा अमेरिकी बैंक सिलिकॉन वैली और क्यों दिवालिया हुआ सिग्नेचर बैंक

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अमेरिका में एक और बैंक दिवालिया हो गया है। सिलिकॉन वैली बैंक के बाद अब सिग्नेचर बैंक के डूबने की खबर आई है। एक तरफ सिलिकॉन वैली बैंक जहां स्टार्टअप और बॉन्ड में भारी निवेश के चलते चूबा वहीं सिग्नेचर बैंक क्रिप्टोकरंसी कारोबार में ज्यादा एक्सपोजर के चलते संकट में आ गया।

सितंबर 2022 तक बैंक में जमा किए गए कुल 103 अरब डॉलर का लगभग एक-चौथाई क्रिप्टोकरंसी क्षेत्र से आया था। क्रिप्टो में मंदी से सिग्नेचर बैंक की बिगड़ी आर्थिक स्थिति को देखते हुए फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ने उसे नियंत्रण में ले लिया है। बैंक को कुछ दिनों के लिए बंद करने का फैसला किया गया है। सिग्नेचर बैंक के दिवालिया होने की घटना सिलिकॉन वैली की शुक्रवार को हुई बंदी के बाद हुई है।

‘वित्तीय प्रणाली मजबूत’

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने सोमवार को देशवासियों से कहा कि देश की वित्तीय प्रणाली मजबूत है। वेस्ट कोस्ट जाने से पहले रूजवेल्ट रूम से उन्होंने कहा, अमेरिकी भरोसा कर सकते हैं कि देश की बैंक व्यवस्था सुरक्षित है। जब आपको जरूरत होगी, आपका जमा पैसा आपको मिल जाएगा।

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सिलिकॉन वैली बैंक की यूके की शाखा एचएसबीसी बैंक ने केवल 99.28 रुपये यानी एक पाउंड में खरीद ली। बैंक की शाखा पर 10 मार्च तक करीब 5.5 अरब पाउंड का लोन था और 6.7 अरब पाउंड डिपॉजिट अमाउंट था। ब्रिटेन के वित्त मंत्रालय और बैंक ऑफ इंग्लैंड ने सिलिकॉन वैली बैंक यूके की बिक्री करने में मदद दी और 8.1 अरब डॉलर के जमा की सुरक्षा भी सुनिश्चित की है।

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स्टार्टअप पर मंडराता खतरा दूर हुआ राजीव चंद्रशेखर

केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने सिलिकॉन वैली बैंक पर अमेरिकी सरकार की कार्रवाई पर कहा कि भारतीय स्टार्टअप पर मंडराते खतरे खत्म हो गए हैं। चंद्रशेखर ने ट्वीट किया, अमेरिकी सरकार की कार्रवाई के साथ, भारतीय स्टार्टअप पर मंडराता खतरा गुजर गया है। संकट के दौरान नेतृत्व और निगरानी करने के लिए प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और आरबीआई का धन्यवाद।

 

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