इन्फोसिस के सह-संस्थापक एवं चेयरमैन नंदन नीलेकणि ने मंगलवार को कहा कि लोग बैंकों की तरफ से लगाए जाने वाले कई तरह के शुल्कों की वजह से ‘जीरो बैलेंस’ बैंक खातों का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। नीलेकणि ने इस समस्या को ‘समाधान के लायक’ बताते हुए कहा कि इसका समाधान निकालना इसलिए भी जरूरी है कि दूसरे देश इसका अनुकरण कर सकते हैं।
दरअसल, पिछले कुछ वर्षों में सरकार और बैंकों के आक्रामक अभियानों की वजह से देश की आबादी के एक बड़े हिस्से के खाते बैंकों में खुले हैं, लेकिन न्यूनतम राशि की अनिवार्यता से मुक्त इन बैंक खातों का लेनदेन के लिए इस्तेमाल अधिक नहीं हो रहा है। साल 2011 में भारत में 15 साल से ज्यादा उम्र वाले 44 फीसदी लोगों के पास ही बैंक अकाउंट थे। प्रधानमंत्री जन-धन योजना से इस आंकड़े में जबरदस्त बदलाव आया।
खातों का इस्तेमाल करना ही बंद कर दिया
नीलेकणि ने मुंबई में ग्लोबल एसएमई फाइनेंस फोरम को संबोधित करते हुए कहा कि बैंक खातों में राशि जमा होने के बावजूद लोग लेनदेन नहीं कर रहे हैं। इसकी वजह बैंकों की तरफ से लेनदेन पर शुल्कों की वसूली है। आधार कार्ड परियोजना के सूत्रधार रहे नीलेकणि ने कहा, ”कई स्थानों पर इन बुनियादी बैंक खातों का परिचालन आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं पाया जा रहा है। इन खातों पर कई तरह के शुल्क लगा दिए गए हैं। ऐसे में लोगों ने इन खातों का इस्तेमाल करना ही बंद कर दिया है।” हालांकि, उन्होंने कहा कि बैंकों के परिचालन से जुड़ी इस समस्या का समाधान निकाला जा सकता है।
बचत खाते मुख्य तौर पर दो प्रकार के होते हैं- एक जीरो बैलेंस सेविंग खाता यानी ऐसा बचत खाता, जिसमें कोई रकम न्यूनतम रखने की सीमा नहीं हो, दूसरा मिनिमम बैलेंस सेविंग अकाउंट यानी ऐसे बचत खाते, जिनमें एक तय राशि से कम पैसे नहीं रख सकते हैं…
बैंक किस तरह का वसूलते हैं चार्ज
1: मेंटनेंस/सर्विस चार्ज: सभी बैंक आपका अकाउंट मेंटेन करने के बदले यह चार्ज वसूल करते हैं। यह हर तरह के अकाउंट पर लगता है।
2: डेबिट कार्ड के लिए चार्ज: बैंक आम तौर पर अकाउंट खुलते ही साथ में डेबिट कार्ड दे देते हैं, जो यह फ्री नहीं होता है। इसके लिए सभी बैंक सालाना आधार पर चार्ज वसूल करते हैं।
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3: एटीएम चार्ज: अगर आप दूसरे बैंक के एटीएम का इस्तेमाल करते हैं तो उसके लिए आपको चार्ज देना होगा। अब तो अपने बैंक के एटीएम से भी महीने में 4 बार ही फ्री में पैसे निकाल सकते हैं।
4: इनसफिसिएंट फंड: जिन अकाउंट में मिनिमम बैलेंस की जरूरत होती है, उनमें लिमिट से पैसे कम होने पर बैंक चार्ज वसूल करते हैं।
5: ओवरड्राफ्ट चार्ज: यह सभी के लिए लागू नहीं है और यह सुविधा सभी बैंक नहीं देते हैं। इसके तहत आप बैलेंस नहीं होने पर भी एक लिमिट तक पैसे निकाल सकते हैं।
6: ट्रांसफर चार्ज: आप किसी दूसरे अकाउंट में यूपीआई, आईएमपीएस, आरटीजीएस, एनईएफटी जैसे माध्यमों से पैसे भेज सकते हैं। इनमें से सभी फ्री नहीं हैं। ईएमपीएस ट्रांसफर पर कई बैंक पैसे चार्ज करते हैं।
7: अकाउंट क्लोजिंग चार्ज: अगर आप बैंक अकाउंट क्लोज कराते हैं तो बैंक इसके लिए आपसे चार्ज ले सकते हैं।
8: डॉरमेंसी फी: अगर आप लंबे समय तक अकाउंट से कोई ट्रांजेक्शन नहीं करते हैं तो बैंक उसे डॉरमेंट कर देते हैं। अमूमन इसकी लिमिट एक साल है।