चीन ने कोरोना महामारी को फैलने से रोकने के लिए सख्त शून्य कोविड नीति लागू की हुई है, लेकिन, उसकी इस नीति से दुनियाभर में आपूर्ति श्रंखला प्रभावित हो रही है और महंगाई बढ़ रही है। भारत में भी बड़े पैमाने पर इसका असर दिखना शुरू हो गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक, आने वाले दिनों में इसका प्रभाव और बढ़ेगा।
केयर रेटिंग के आकलन के मुताबिक, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान से विश्व स्तर पर महंगाई में बढ़त दिख रही है। आंकड़ों के मुताबिक, भारत में भी लगभग सभी श्रेणियों में कीमतों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है।
आर्थिक मामलों के जानकार योगेंद्र कपूर ने हिन्दुस्तान को बताया कि चीन से पूरी तरह से तैयार माल की आपूर्ति में बड़ी दिक्कत नहीं होगी क्योंकि गलवान घाटी टकराव के बाद पैदा हुई चीन विरोधी भावनाओं की वजह से आपूर्ति अब काफी कम हो गई है।
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हालांकि, चीन से कच्चे माल की आपूर्ति पर असर होगा। इससे ऑटोमोबाइल और स्मार्टफोन के पार्ट्स, टेलीकॉम-इलेक्ट्रिकल उपकरणों के साथ केमिकल और फर्टिलाइजर के उत्पादन के लिए जरूरी चीजों की आपूर्ति में देरी हो सकती है। ऐसे में इनका उत्पादन प्रभावित होगा और दाम पर भी असर होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक उथल-पुथल और बढ़ते दामों की वजह से महंगाई दर अभी ऊंची ही बनी रहेगी। पूरे साल यह दर 6 के आसपास बनी रह सकती है।
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एक वर्ष में यह असर
पिछले एक साल में देश में खाने-पीने की चीजों के दामों में बड़ा इजाफा देखने को मिला है। कपड़े, फुटवियरके साथ ईंधन और बिजली के क्षेत्र में भी महंगाई दर बढ़ी है। आने वाले दिनों में इन सभी चीजों के दाम और बढ़ने की आशंका है।
इन क्षेत्रों पर मंदी और छंटनी का खतरा
वाहन, मोबाइल, टीवी, लैपटॉप, सौर उर्जा उपकरण, भवन निर्माण क्षेत्र, रसायन-उर्वरक, लघु और मझौले उद्योग