इस साल के अंत तक किसानों को बड़ी राहत मिल सकती है। दरअसल, भारत में दिसंबर तक के लिए सप्लाई सुनिश्चित होने से खाद (फर्टिलाइजर्स) की कीमतों में कमी आने की संभावना है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने इस साल अपनी खरीफ और रबी की मांग को पूरा करने के लिए दिसंबर 2022 तक यूरिया और डाई-अमोनिया फॉस्फेट (DAP) की पर्याप्त सप्लाई के साथ करार किया है, जिससे आने वाले महीनों में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कीमतों की जांच हो सकती है।
इस देश के बाद भारत सबसे बड़ा खरीदार
बता दें कि चीन, ब्राजील और अमेरिका के बाद भारत दुनिया में फर्टिलाइजर्स का सबसे बड़ा खरीदार है। मांग में बढ़ोतरी या गिरावट का दुनिया की कीमतों पर सीधा असर पड़ता है। यदि यूरिया और डीएपी की कीमतों में आगे चलकर नरमी आती है तो यह केंद्र द्वारा उर्वरक सब्सिडी के लिए वित्त वर्ष 2013 के लिए अनुमानित 2-2.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक राशि के इंजेक्शन की आवश्यकता को कम कर सकता है।
रूस-यूक्रेन संकट के कारण तैयार उर्वरकों और प्राकृतिक गैस जैसे प्रमुख कच्चे माल दोनों की वैश्विक कीमतों में वृद्धि के कारण वित्त वर्ष 2023 में उर्वरक सब्सिडी के लिए 1.05 ट्रिलियन बजट का अनुमान पहले ही खत्म हो चुका है।
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क्या कहा मंत्री ने?
फर्टिलाइजर मंत्री मनसुख मंडाविया ने संवाददाताओं से कहा, “भारत ने दिसंबर 2022 तक यूरिया की पर्याप्त आपूर्ति हासिल कर ली है, जो बाकी सालों के लिए यूरिया के आयात की आवश्यकता को कम कर सकता है।” उन्होंने कहा कि डीएपी का आयात करना होगा क्योंकि हमारा घरेलू उत्पादन कम है। बता दें कि खरीफ फसल के लिए उर्वरक की मांग आमतौर पर अप्रैल और जून के बीच और रबी की बुवाई के लिए अक्टूबर-दिसंबर के बीच चरम पर होती है। रबी सीजन के दौरान डीएपी की मांग अधिक होती है, जबकि खरीफ के दौरान एनपीके की खपत बढ़ जाती है।
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