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ऑर्गेनिक प्रोडक्ट का झूठा दावा करने वालों पर शिकंजा कसेगा, नकली की बिक्री पर अंकुश की तैयारी

ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थों (organic foods) को लेकर कुछ कंपनियों के झूठे दावों के जानकारी में आने के बाद खाद्य नियामक-भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने अपनी सभी परीक्षण सुविधाओं और प्रयोगशालाओं को इस मामले में सख्ती से निगरानी बढ़ाने का निर्देश दिया है। सरकार मे इस खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं को सटीक ऑर्गेनिक खाद्य परीक्षण करने के लिए अपनी प्रक्रियाओं को उन्नत बनाने का निर्देश दिया है। गौरतलब है कि सरकार ऑर्गेनिक भोजन को बढ़ावा देने की योजना पर काम कर रही है और कुछ कंपनियों द्वारा इस संबंध में झूठे दावे किए जा रहे हैं। इस वक्त ऑर्गेनिक चाय, दालें, तेल और गुड़ पाउडर लोगों में सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं, इसके बाद इस सूची में दुग्ध उत्पादों का स्थान है।


खाद्य विशेषज्ञों के मुताबिक भारत में ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थों का बाजार आने वाले वर्षों में काफी तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। इसकी वजह लोगों में सेहत के प्रति जागरुकता बढ़ना है। साथ ही बड़ी संख्या में खाद्य पदार्थों में मिलावट की घटनाओं के कारण भारत में ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थों की मांग बढ़ रही है।

10 लाख रुपये तक का जुर्माना

एफएसएसएआई ने हाल ही में नकली ऑर्गेनिक उत्पादों की बिक्री पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से मसौदा खाद्य और मानक (ऑर्गेनिक खाद्य) विनियम, 2017 की घोषणा की। इस विनियमन के लिए बाजार में ऑर्गेनिक के रूप में बेचे जाने वाले उत्पादों को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के राष्ट्रीय ऑर्गेनिक उत्पादन कार्यक्रम या कृषि मंत्रालय की भागीदारी गारंटी योजना द्वारा प्रमाणित करने की आवश्यकता होगी। एफएसएसएआई के पास भोजन की गलत ब्रांडिंग और भ्रामक विज्ञापनों के लिए एक परिभाषा और दंड है। गलत ब्रांडिंग के लिए तीन लाख रुपये तक और भ्रामक विज्ञापन के लिए 10 लाख रुपये तक का जुर्माना है।

एफएसएसएआई ने अपने परिपत्र में कहा है कि सरकार ने सहकारी समितियों को प्रोत्साहित और मजबूत करके भारत में ऑर्गेनिक उत्पादों को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। इसकी सफलता ऑर्गेनिक उत्पादों की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने के लिए विश्वसनीय परीक्षण पर निर्भर करती है। इसलिए, सभी खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं को ऑर्गेनिक परीक्षण को कुशलतापूर्वक और सटीक रूप से संभालने के लिए अपनी सुविधाओं और प्रक्रियाओं को अनुकूलित करने की आवश्यकता है।

खाद्य नियामक ने सभी खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं को अपनी वर्तमान क्षमताओं की समीक्षा करने और ऑर्गेनिक उत्पादों के लिए बुनियादी ढांचे और परीक्षण के दायरे को बढ़ाने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया है। सभी खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं को ऑर्गेनिक उत्पादों के परीक्षण के लिए प्रयोगशाला की मान्यता के लिए कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) को आवेदन करने के लिए कहा गया है।

ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थ का मतलब?

ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थों (organic foods) को बिना किसी कृत्रिम कीटनाशक और उर्वरक के तैयार किया जाता है। इन्हें जेनेटिकली बदलाव भी नहीं किया जाता है यानि इसकी प्रकृति से किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की जाती। खाद्य नियामक संस्था द्वारा इस तरह के खाद्य पदार्थों को प्रमाणित किया जाता है। इसके बाद ही इन्हें बाजार में बेचने के लिए उतारा जाता है।

ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थों का बाजार

इसका वैश्विक बाजार अनुमानित 10 लाख करोड़ रुपये का है। इसमें भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 2.7 फीसदी है। मौजूदा समय में प्रमाणित भारतीय ऑर्गेनिक उत्पादों का खुदरा बाजार लगभग 27,000 करोड़ रुपये का है जिसमें 7,000 करोड़ रुपये का निर्यात भी शामिल है। पिछले तीन वर्षों में भारत द्वारा निर्यात किए गए 10 प्रमुख ऑर्गेनिक उत्पादों में प्रसंस्कृत खाद्य, तिलहन, अनाज और बाजरा, चीनी, मसाले, दालें, चाय, चारा और कॉफी शामिल हैं। इस बाजार में भारत की पैठ बढ़ाने के असीमित अवसर हैं। दुनियाभर में लगभग 34 लाख ऑर्गेनिक उत्पादक हैं। 749 लाख हेक्टेयर कृषि पर ऑर्गेनिक उत्पादों की खेती की जाती है। इनमें से सबसे ज्यादा ऑस्ट्रेलिया में 357 लाख हेक्टेयर में इन उत्पादों की खेती होती है। जबकि 27 लाख हेक्टेयर भूमि के साथ भारत चौथे स्थान पर है।

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