राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) से जुड़े लोगों के लिए अच्छी खबर है। अब वे योजना से निकासी के समय एक से अधिक एन्यूटी या पेंशन योजना में निवेश कर पाएंगे। ये विकल्प उन सदस्यों को मिलेगा, जिनका एन्युटी फंड 10 लाख रुपये से ज्यादा होगा। प्रत्येक एन्युटी या पेंशन योजना में कम से कम पांच लाख रुपये का निवेश करना होगा।
पेंशन फंड नियामक पीएफआरडीए के हाल में जारी हुए सर्कुलर के अनुसार, एनपीएस सदस्यों को निकासी के वक्त किसी एक एन्युटी/पेंशन सेवा प्रदाता यानी जीवन बीमा कंपनी से एक से अधिक एन्युटी प्लान खरीदने का विकल्प मुहैया कराया जाएगा। इससे पहले एक ही प्लान खरीदने की इजाजत थी।
यह होगा फायदा: जीवन बीमा कंपनियां निवेश अवधि और प्रदर्शन के आधार पर अलग-अलग एन्युटी/पेंशन प्लान उपलब्ध कराती हैं, जिनमें वार्षिक ब्याजें दरें और मुनाफा भी अलग होता है। अधिक पेंशन के लिए निवेशक ज्यादा मुनाफे वाली योजनाओं को चुन सकेंगे। साथ ही बाजार जोखिम के आधार पर भी पेंशन प्लान चुनने के लिए स्वतंत्र होंगे।
क्या हैं नियम
यदि रिटायर हुए हैं तो
60 साल की आयु में सेवानिवृत्ति के बाद एनपीएस से 60 फीसदी रकम ही एकमुश्त निकाली जा सकती है। यह कर मुक्त होती है। बाकी 40 फीसदी रकम को एन्युटी/पेंशन प्लान में निवेश करना होता है, जिससे पेंशन मिलती है। ये प्लान जीवन बीमा कंपनियां उपलब्ध कराती हैं। हालांकि, अगर सेवानिवृत्ति के बाद कुल एन्युटी फंड पांच लाख रुपये के बराबर या इससे कम है तो सदस्य पूरी रकम निकाल सकते हैं।
समय से पहले निकासी की स्थिति में
यदि कोई एनपीएस सदस्य 60 वर्ष से पहले समय पूर्व निकासी चाहता है तो उसे कुल फंड का 80 फीसदी हिस्सा एन्युटी/पेंशन प्लान खरीदने में लगाना होता है। सिर्फ 20 फीसदी रकम ही एकमुश्त निकाल सकते हैं। अगर समय पूर्व निकासी के समय कुल फंड 2.5 लाख रुपये के बराबर या इससे कम है तो एन्युटी प्लान खरीदने की बाध्यता नहीं है। सदस्य पूरी राशि निकाल सकते हैं। एनपीएस में पांच वर्ष से पहले निकासी नहीं की जा सकती है।
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क्या होता है एन्युटी/पेंशन प्लान: सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन/एन्युटी प्लान जीवन बीमा कंपनियों से खरीदना होता है, जो ग्राहकों को उनकी निवेश राशि के आधार पर मासिक, तिमाही, छमाही या वार्षिक आधार पर पेंशन देती हैं। ब्याज की दर स्थिर होती है, जो निवेश के समय तय होती है। फिलहाल पेंशन नियामक पीएफआरडीए के पैनल में 15 कंपनियां शामिल हैं, जिनसे पेंशन प्लान खरीदा जा सकता है।
इनकम टैक्स
पेंशन प्लान के तहत मिलने वाली राशि निवेशक की सालाना आय में जुड़ जाती है और इस पर इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से कर चुकाना पड़ता है।