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एक रिपोर्ट जिससे हिल गया अडानी का साम्राज्य, 1 महीने में ही क्या कुछ खोखा, सिलसिलेवार समझें

Adani Group Crisis: 24 जनवरी 2023, वैसे तो ये एक सामान्य तारीख है लेकिन गौतम अडानी के लिए यह किसी मनहूस दिन की तरह था। दरअसल, यही वो दिन था जब अमेरिका की शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग ने 106 पेज की एक रिपोर्ट (hindenburg research report) जारी की। इस रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप की कंपनियों को लेकर ना सिर्फ दुनिया का नजरिया बदला बल्कि ग्रुप के शेयरों में भी तूफान आ गया। इस रिपोर्ट की वजह से ही व्यक्तिगत तौर पर गौतम अडानी भी दौलत गंवाते चले गए। एक महीने पहले तक दुनिया के टॉप 3 रईस अरबपतियों में शुमार गौतम अडानी अब दुनिया के टॉप 25 रईस की सूची से भी बाहर हो चुके हैं। आज यानी 24 फरवरी 2023 को हिंडनबर्ग रिपोर्ट के एक महीने पूरे हो गए हैं। ऐसे में ये जानना बेहद जरूरी है कि कैसे इस रिपोर्ट ने सिर्फ एक महीने में गौतम अडानी समूह के साम्राज्य की नींव हिला दी है। आइए सिलसिलेवार जानते हैं कि कैसे महीनेभर में ही गौतम अडानी समूह की फिजा बदल गई – 

-अमेरिका की शॉर्ट-सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने 24 जनवरी को 106 पेज की एक रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में अडानी समूह पर स्टॉक्स के 85 फीसदी तक ओवरवैल्यूड होने के आरोप लगाए गए। इसके साथ ही रिपोर्ट में अडानी समूह पर शेल कंपनियां बनाकर स्टॉक्स में हेरफेर और धोखाधड़ी करने के भी आरोप लगे।

– रिपोर्ट के बाद 25 जनवरी को अडानी ग्रुप की लिस्टेड कंपनियों के स्टॉक्स में गिरावट का दौर शुरू हुआ। ग्रुप की सभी लिस्टेड कंपनियों के शेयर भरभरा गए। इसके बाद 26 जनवरी को शेयर बाजार बंद था। इसी दौरान अडानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग की रिसर्च रिपोर्ट को सिरे से खारिज करते हुए फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर यानी FPO के खिलाफ साजिश करार दिया। हालांकि, यह सफाई बेअसर रही और 27 जनवरी को मार्केट ओपन होते एक बार फिर अडानी ग्रुप से जुड़े स्टॉक्स रेंगते नजर आए। ब्लूमबर्ग के मुताबिक हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के एक हफ्ते से भी कम समय में अडानी ग्रुप का मार्केट कैपिटल $100 बिलियन से अधिक स्वाहा हो चुका था। 27 जनवरी के दिन ही अडानी एंटरप्राइजेज का फॉलो-अन पब्लिक ऑफर यानी एफपीओ लॉन्च हुआ था।

– 28 जनवरी को मॉर्गन स्टेनली कैपिटल इंटरनेशनल (MSCI) ने हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट को लेकर अडानी समूह की सिक्योरिटीज पर फीडबैक मांगा। इसके कुछ दिन बाद ही अडानी ग्रुप की 4 सिक्योरिटीज (अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी टोटल गैस, अडानी ट्रांसमिशन और एसीसी) के फ्री-फ्लोट डेजिग्नेशन (Free Float Designation) में कटौती कर दी गई। हालांकि, बाद में MSCI ने अडानी ग्रुप के तीन कंपनियों के इंडेक्स वेटेज रिव्यू को मई तक के लिए टाल दिया है। MSCI ने इस रिव्यू में देरी के पीछे का कारण इन दो कंपनियों के शेयरों के पोटेंशियल रेप्लिकेबिलिटी इश्यूज का हवाला दिया। बता दें कि वर्तमान में गौतम अडानी समूह से जुड़ी आठ कंपनियां एमएससीआई स्टैंडर्ड सूचकांक का हिस्सा हैं। 

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– 29 जनवरी को अडानी समूह ने 413 पन्नों का बयान जारी किया जिसमें हिंडनबर्ग के सभी दावों का खंडन किया गया और इसे भारत पर कैल्कुलेटेड अटैक बताया। इसके बाद हिंडनबर्ग ने कहा कि अडानी का बयान उसकी रिपोर्ट में उठाए गए अधिकांश सवालों का जवाब देने में विफल रहा।

– 30 जनवरी  को अबुधाबी की इंटरनेशनल होल्डिंग कंपनी (IHC) ने अडानी एंटरप्राइजेज के FPO में 400 मिलियन डॉलर (3261.29 करोड़ रुपये) की रकम निवेश का ऐलान किया। 

-इस FPO का आखिरी दिन 31 जनवरी 2023 था। सुस्त शुरुआत के बाद FPO फुल सब्सक्राइब हो गया। हालांकि, अगले दिन यानी 1 फरवरी को कंपनी ने FPO रद्द करने और निवेशकों के पैसे लौटाने का ऐलान किया। अडानी ग्रुप ने इसे नैतिक आधार पर लिया गया फैसला बताया।

– वहीं, 2 फरवरी को गौतम अडानी खुद सामने आए और उन्होंने वीडियो संदेश के जरिए FPO रद्द किए जाने के फैसले के बारे में बताया। गौतम अडानी के इस कदम से अनुमान लगाया जा रहा था कि वह निवेशकों का भरोसा जीत सकेंगे। हालांकि, यह दांव भी बेअसर साबित हुआ।

-इस बीच, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों से अडानी समूह के लिए उनके कर्ज और जोखिमों की डिटेल मांगी। वहीं, देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई और पीएनबी समेत लगभग सभी लेंडर्स ने सामने आकर अडानी ग्रुप को दिए गए कर्ज की स्थिति के बारे में जानकारी दी। हर बैंकों ने कहा कि अडानी ग्रुप को दिए गए कर्ज जोखिम में नहीं हैं। इसके अलावा देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी के निवेश पर भी सवाल खड़े हुए। इस पर एलआईसी ने भी स्पष्टीकरण जारी किया। दरअसल, अडानी ग्रुप के साथ ही पीएसयू बैंक और एलआईसी के शेयर भी टूट रहे थे। इस माहौल में इन कर्जदाताओं या निवेशकों का स्पष्टीकरण जरूरी हो गया था।

– अडानी समूह के शेयरों में बिकवाली के बीच गौतम अडानी की व्यक्तिगत संपत्ति भी घटती चली गई। रिपोर्ट के एक हफ्ते में अडानी एशिया के सबसे अमीर रईस का खिताब गंवा चुके थे। इसके बाद दुनिया की अरबपतियों की सूची में टॉप 10, टॉप 20 से भी बाहर हो गए। अब अडानी की रैंकिंग लुढ़ककर 29 वें नंबर पर आ गई है।

– इस रिपोर्ट के बाद वैश्चिक स्तर पर गौतम अडानी को अलग-अलग देशों में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। स्विट्जरलैंड स्थित निवेश बैंकिंग कंपनी क्रेडिट सुइस ने अपने निजी बैंकिंग ग्राहकों को मार्जिन लोन के लिए जमानत के रूप में अडानी समूह के बॉन्ड स्वीकार करना बंद कर दिया। वहीं, सिटीग्रुप इंक ने भी गौतम अडानी की फर्मों के समूह की सिक्योरिटीज को स्वीकार करना बंद कर दिया है। वहीं, ऑस्ट्रेलिया में अडानी के कारोबार पर समीक्षा करने की भी खबरें आईं।

– वहीं, फोर्ब्स की रिपोर्ट में बताया गया कि अडानी एंटरप्राइजेज के एफपीओ को मैनेज करने के लिए जिन 10 कंपनियों को रखा गया था, उनमें दो ऐसी कंपनी भी हैं, जिनका जिक्र हिंडनबर्ग कि रिसर्च रिपोर्ट में भी किया गया है। 

-यह मामला SEBI के पास पहुंच गया और मार्केट रेगुलेटरी ने  हिंडनबर्ग के आरोपों की जांच शुरू करने का फैसला किया। मार्केट रेगुलेटर सेबी ने ग्रुप की कंपनियों पर रेटिंग को लेकर रेटिंग एजेंसियों से भी जानकारी मांगी। इसके तहत लोकल लोन और सिक्योरिटीज की रेटिंग पर डिटेल मांगी गई। इधर, संसद में विपक्ष ने एक संयुक्त संसदीय समिति या सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एक पैनल के द्वारा पूरे मामले की जांच कराने की मांग की गई। 

-इस प्रकरण की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में भी चल रही है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 4 अलग-अलग याचिकाओं की सुनवाई करते हुए पैनल गठित करने का सुझाव दिया था। इस सुझाव को सरकार ने माना और सीलबंद लिफाफे में पैनल के मेंबर्स के नाम दिए। पारदर्शिता का हवाला देते हुए सीलबंद लिफाफे पर कोर्ट को आपत्ति थी। कोर्ट ने खुद पैनल गठित करने की बात कही।

-इधर,  मूडीज और फिच दोनों ने अडानी समूह के लोन को लेकर अपनी रिपोर्ट जारी की और इसे जोखिम मुक्त बताया। दुनिया की प्रमुख रेटिंग एजेंसियों फिच और मूडीज ने 8 फरवरी को कहा कि अडानी समूह की कंपनियों द्वारा भारतीय बैंकों से लिया गया लोन इतना अधिक नहीं है कि उनकी ऋण गुणवत्ता पर किसी तरह का जोखिम पैदा हो।

– इस माहौल में अडानी ग्रुप की लिस्टेड कंपनियों ने अपने दिसंबर तिमाही के नतीजे जारी किए। अडानी ग्रुप की लीडिंग कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज को दिसंबर तिमाही में मुनाफा हुआ। अडानी एंटरप्राइजेज का शुद्ध लाभ दिसंबर तिमाही में 820 करोड़ रुपये पर आ गया। इसी दिन गौतम अडानी ने एक और बयान दिया और बाजार में चल रहे उतार-चढ़ाव को अस्थाई बताया। 

– वहीं, अडानी ग्रुप की कंपनियों के साथ डील कैंसिल होने की खबर आने लगी। एक के बाद एक करीबन चार डील खत्म कर दिए गए। विवाद के तुरंत बाद यूपी सरकार की यूनिट मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने अडानी समूह की ओर से स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का टेंडर निरस्त कर दिया। इसकी लागत लगभग 5,400 करोड़ थी। इसके बाद अडानी पावर और डीबी पावर के बीच करीब 7000 करोड़ रुपये की डील टूट गई। बीते साल अगस्त 2022 में इस डील की जानकारी शेयर बाजारों को दी गई थी। वहीं, सीके बिड़ला ग्रुप की कंपनी ओरियंट सीमेंट (Orient Cement) ने अडानी पावर महाराष्ट्र (Adani Power Maharashtra) के साथ डील खत्म कर दी है। इतना ही नहीं  अडानी समूह ने देश की पावर ट्रेडिंग कंपनी पीटीसी इंडिया (PTC India Ltd) में हिस्सेदारी के लिए बोली लगाने से खुद को अलग कर लिया है। हालांकि, अडानी समूह ने इसका आधिकारिक ऐलान नहीं किया है। 

– हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद संकट से बाहर निकलने के लिए संघर्ष कर रहे अडानी समूह पर अब विकिपीडिया ने हमला बोला दिया। इनसाइक्लोपीडिया विकिपीडिया ने आरोप लगाया है कि करीब एक दशक से अडानी समूह को लेकर अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर बढ़ा-चढ़ाकर लिखा और कहा गया है। विकिपीडिया ने इसके लिए ‘साक पपिट’ का भी इस्तेमाल किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, 40 से अधिक ‘साक पपिट’ या अघोषित रूप से पेड राइटर्स ने अडानी परिवार और पारिवारिक व्यवसायों पर 9 लेख लिखे या संशोधित किए। इनमें से कई ने कई लेखों को संपादित किया और गैर-तटस्थ सामग्री को जोड़ा।

– अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च के फाउंडर नाथन  एंडरसन लगातार अडानी पर हमला बोल रहे हैं। एंडरसन ने विकिपीडिया के इंडिपेंडेंट समाचार पत्र ‘साइनपोस्ट’ का हवाला देते हुए अडानी समूह पर नया हमला किया। विकिपीडिया की साइनपोस्ट लेख को ट्वीट करते हुए एंडरसन ने कहा कि अडानी किस तरह अपनी छवि को चमकाने के लिए फेक अकाउंट का इस्तेमाल करते थे।

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बता दें कि गौतम अडानी भारत में सबसे बड़े पोर्ट ऑपरेटर समूह के संस्थापक हैं। अडानी ग्रुप के कारोबार में इंफ्रास्ट्रक्चर, कमोडिटीज, बिजली उत्पादन और ट्रांसमिशन के अलावा रियल एस्टेट शामिल हैं। बीते कुछ साल में अडानी समूह ने अलग-अलग सेक्टर में एंट्री शुरू कर दी है। हाल ही में अडानी समूह ने सीमेंट और मीडिया इंडस्ट्री में भी ने एंट्री ली है।

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