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एक बात जिसने बदला जमशेदजी टाटा का मूड, यूं रखी थी टाटा स्टील की नींव

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Jamsetji Tata Birth Anniversary: टाटा ग्रुप, यह ना सिर्फ एक कॉरपोरेट घराना है बल्कि इससे करोड़ों लोगों की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर आजीविका जुड़ी हुई है। यह ग्रुप देश के हर घर में किसी ना किसी बहाने शामिल है। नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक बनाने वाला यह ग्रुप आज जिस मुकाम पर है, उसके पीछे लंबा संघर्ष है। इस संघर्ष की नींव जमशेदजी टाटा ने रखी और उन्होंने ग्रुप को आगे बढ़ने की सही दिशा दी। आज यानी 3 मार्च को जमशेदजी टाटा की बर्थ एनिवर्सरी है। वैसे तो जमेशदजी टाटा के कारोबार से जुड़ी कई बातें बताई गई हैं लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि कैसे उन्होंने आयरन और स्टील कारोबार में एंट्री ली। 

कैसे मिला आइडिया: दरअसल, जमशेदजी टाटा अपने कपड़ा मिल के लिए नई मशीनरी की जांच को मैनचेस्टर की यात्रा पर गए थे। यहां उन्होंने थॉमस कार्लाइल के एक व्याख्यान में भाग लिया। इस व्याख्यान में थॉमस कार्लाइल ने कहा कि जो देश आयरन यानी लोहे पर नियंत्रण हासिल कर लेता है, वह जल्द ही गोल्ड यानी सोने पर भी नियंत्रण हासिल कर लेता है। कार्लाइल की ये बात जमशेदजी टाटा को छू गई और उन्होंने भारत में पहला स्टील प्लांट स्थापित किया। ये एक बड़ा कदम था क्योंकि इस दौर में औद्योगिक क्रांति ने ब्रिटेन और अन्य देशों की पहचान बदल थी। जमशेदजी ने ये कदम ऐसे समय में उठाया जब भारत औद्योगिक लिहाज से दरकिनार था।

बता दें कि जमशेदजी टाटा ने 1869 में कपड़ा उद्योग में कदम रखा। उन्होंने बॉम्बे के औद्योगिक केंद्र चिंचपोकली में एक दिवालिया तेल मिल का अधिग्रहण किया। ये पहली बार था जब जमशेदजी टाटा ने किसी तरह का अधिग्रहण किया हो। 1874 में जमशेदजी ने एक नया वेंचर शुरू किया था।

करीब 3 साल बाद नागपुर में जमशेदजी टाटा की एम्प्रेस मिल्स अस्तित्व में आई थी। आधिकारिक तौर पर जमशेदजी का ये पहला शानदार कारोबारी दांव था। पहली बार जमशेदजी ने अपने कर्मचारियों को कम काम के घंटे, अच्छी तरह हवादार कार्यस्थल के अलावा भविष्य निधि और ग्रेच्युटी की पेशकश की थी।

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