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ईरान ने बदला लेने की नीयत से बंद किया भारत से चाय और बासमती खरीदना!

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ईरान ने पिछले दिनों अचानक से भारतीय बासमती चावल और चाय खरीदना बंद कर दिया। खबर आ रही है कि ईरान ने यह कदम शायद बदले की नीयत से उठाया है। दरअसल, भारत ने ईरान से आने वाले कुछ फलों पर रोक लगा दी है और उसी के जवाब में ईरान में यह कदम उठाया है। यह बात दो सीनियर गवर्नमेंट ऑफिसर्स ने कही है। ईरान की तरफ से खरीदारी बंद करने से जुड़ा कदम चौकाने वाला है, क्योंकि भारत की चाय और बासमती के लिए ईरान टॉप मार्केट है। 

ईरान का भारतीय बासमती को ब्लॉक करना बेहद असामान्य’ 
एक ऑफिसर ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि भारत की तरफ से ईरान की कीवीज और आड़ू न लेने के खिलाफ यह जवाबी कदम हो सकता है। यह इंफॉर्मेशन ज्यादातर ट्रेड चैनल्स से आ रही है, न कि डिप्लोमैटिक चैनल्स से, इसलिए यह कारोबार से जुड़ा मामला हो सकता है। लेकिन, ईरान का भारतीय बासमती को ब्लॉक करना बेहद असामान्य है, क्योंकि भारतीय बासमती चावल दूसरे देशों से आने वाले चावल के मुकाबले काफी सस्ता है। 

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भारत ने एक साल पहले बंद किया था ईरान की कीवीज का इंपोर्ट
भारत ने पेस्ट-इन्फेस्टेड कन्साइनमेंट्स को हवाला देते हुए दिसंबर 2021 में ईरान की कीवीज का इंपोर्ट बंद कर दिया था। इंडियन टी एसोसिएशन के सेक्रेटरी सुजीत पात्रा का कहना है, ‘यह बेहद चौकाने वाला है। ईरान ने हमारी चाय और चावल लेना बंद कर दिया है। हम बहुत लंबे समय से ईरान को इंडियन टी का एक्सपोर्ट कर रहे हैं और ईरान में भारतीय चाय की तगड़ी डिमांड है। हमने इस मुद्दे को कॉमर्स मिनिस्ट्री, टी बोर्ड, DGFT और तेहरान में भारतीय दूतावास के साथ उठाया है। सरकार का कहना है कि वह कारण पता करने की कोशिश कर रहे हैं। हमें वास्तविक स्थिति का पता होना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि सरकार को इस मामले को लेकर ईरान की गवर्नमेंट के साथ बात करनी चाहिए ताकि हम अपना एक्सपोर्ट दोबारा शुरू कर सकें। 

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ईरान का राइस इंपोर्ट 641.66 मिलियन डॉलर का रहा
इस पूरे मामले को लेकर कॉमर्स मिनिस्ट्री, विदेशी मंत्रालय और नई दिल्ली में ईरानी दूतावास को सवाल भेजे गए, लेकिन अभी तक उनका जवाब नहीं मिल सका है। ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के फेलो कबीर तनेजा का कहना है कि भारत और ईरान के बीच असल तनाव यह है कि ईरान चाहता है कि नई दिल्ली फिर से उससे ऑयल खरीदना चालू करे। इस साल अप्रैल-सितंबर के दौरान ईरान का राइस इंपोर्ट 641.66 मिलियन डॉलर का रहा, जो कि वित्त वर्ष 2022 में 855.72 मिलियन डॉलर के रिकॉर्ड पर पहुंच गया था। जनवरी-सितंबर के दौरान टी इंपोर्ट 66.39 मिलियन डॉलर का रहा है।

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