Mutual Fund: आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड (icici prudential mutual fund) ने आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल बूस्टर सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (Booster SIP) के रूप में जानी जाने वाली इंडस्ट्री की पहली सुविधा शुरू की है। बूस्टर एसआईपी एक ऐसी सुविधा है जिसमें सोर्स स्कीम में पूर्व-निर्धारित अंतराल पर एक निश्चित राशि का निवेश किया जाता है और इक्विटी वैल्यूएशन इंडेक्स के आधार पर पूर्व-निर्धारित अंतराल पर एक परिवर्तनीय राशि टारगेट स्कीम में ट्रांसफर की जाती है।
मिलेगा ज्यादा रिटर्न
बूस्टर एसआईपी निवेशकों को सोर्स स्कीम में अनुशासित तरीके से निवेश करने की अनुमति देता है और नियमित अंतराल पर ईवीआई मॉडल के आधार पर आधार किस्त राशि के 0.1 से 10 गुना की सीमा में टारगेट स्कीम में एक परिवर्तनीय राशि (variable amount) स्थानांतरित करता है। सामान्य एसआईपी की तुलना में बूस्टर एसआईपी में निवेशकों को ज्यादा रिटर्न मिलता है।
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कैसे करें निवेश
इस फीचर के जरिए जब इक्विटी वैल्यूएशन महंगा माना जाता है तो बेस किस्त की एक छोटी राशि का निवेश किया जाता है। इसके विपरीत, जब वैल्यूएशन को सस्ता माना जाता है, तो निवेश अपेक्षाकृत अधिक मूल्य का होगा। उदाहरण के लिए, यदि मूल किश्त राशि रु. 10,000 तो यह बाजार की स्थितियों के आधार पर कहीं भी 1000 रुपये से 1 लाख रुपये के बीच निवेश करता है। ईवीआई के आधार पर गुणक (0.1 से 10 गुना) का निर्धारण किया जाता है।
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कंपनी ने क्या कहा?
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी के प्रोडक्ट एवं रणनीति प्रमुख चिंतन हरिया ने कहा कि बूस्टर एसआईपी डाइनैमिक किस्त के माध्यम से टारगेट स्कीम में निवेश को भी पीछे छोड़कर रुपये की लागत औसत और मूल्य औसत का फायदा उठाता है। मार्केट वैल्यूएशन जिसके आधार पर किस्त की राशि तय की जाती है, इन-हाउस इक्विटी वैल्यूएशन इंडेक्स पर आधारित होती है। नियमित निवेश के अनुशासनात्मक दृष्टिकोण से निवेशक को बड़ा फायदा होता है क्योंकि उसे बाजार को सक्रिय रूप से ट्रैक करने की आवश्यकता नहीं होती है। बूस्टर एसआईपी डायनेमिक किस्त के आधार पर इक्विटी और डेट में निवेश करता है।
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क्या है बूस्टर एसआईपी?
बूस्टर एसआईपी सोर्स स्कीम में एक निश्चित एसआईपी राशि है जिसे मासिक एसटीपी के माध्यम से टारगेट स्कीम्स में इक्विटी वैल्यूएशन आधारित (ईवीआई) आधारित गुणक का उपयोग करके बेस इंस्टॉलमेंट अमाउन्ट पर ट्रांसफर किया जाता है। गुणक या मल्टीप्लायर वह सीमा है जिस तक बेस इंस्टॉलमेंट अमाउन्ट के आधार पर एसटीपी की राशि अलग हो सकती है।