प्राइवेट सेक्टर के धनलक्ष्मी बैंक के मैनेजमेंट में तूफान आ गया है। दरअसल, बैंक के एमडी और सीईओ शिवन जेके के पर कतरने के लिए कुछ शेयरधारकों ने असाधारण आम बैठक (ईजीएम) बुलाई है। बीएसई को दी जानकारी में बैंक ने बताया है कि लगभग 13% की हिस्सेदारी वाले नौ शेयरधारकों के एक समूह ने यह बैठक बुलाई है।
12 नवंबर को बैठक: ये शेयरधारक बैठक में शिवन जेके की शक्तियों को कमजोर करने के अलावा दो अन्य निदेशकों को अधिकृत करने का प्रस्ताव रखेंगे। बैठक की तिथि 12 नवंबर निर्धारित की गई है। आपको बता दें कि बैंक में लगभग 13% की हिस्सेदारी वाले शेयरधारकों में अरबपति बी रवींद्रन पिल्लई भी शामिल हैं, जिनकी 9.99% हिस्सेदारी है।
बैंक का क्या कहना है: हालांकि, बैंक का कहना है कि उसने कानूनी राय ली है। बैंक ने कहा- हम बैठक के लिए बाध्यकारी हैं लेकिन शेयरधारक एमडी और सीईओ की शक्तियों पर बेड़ियां नहीं लगा सकते हैं। सिर्फ केंद्रीय बैंक आरबीआई के पास सीईओ की शक्तियों पर अंकुश लगाने का अधिकार है।
दिक्कत क्या है: शेयरधारकों ने सीईओ शिवन जेके के खर्च के तरीकों पर सवाल खड़े किए हैं। शेयरधारकों के मुताबिक बैंक पर टालने योग्य मुकदमों के लिए हाई कॉस्ट वकीलों को लिए जाने की बात हो या नए कर्मियों की भर्ती के लिए भारी प्रोत्साहन का दावा करना, हर जगह बेहिसाब खर्चे किए गए। बैंक की नई शाखाएं खोलने में भी खर्च ज्यादा किए गए हैं।
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शेयरधारकों का आरोप है कि धनलक्ष्मी बैंक एक छोटे से बोर्ड के साथ चल रहा है। इसमें एमडी के अलावा सिर्फ दो निदेशक हैं। बैंक ने अगस्त 2020 से एक नया निदेशक नियुक्त नहीं किया है। शेयरधारकों ने यह भी आरोप लगाया है कि सीईओ बैंक में निदेशकों की नियुक्ति को लेकर शेयरधारकों के साथ लंबित कानूनी विवाद को निपटाने के लिए कोई पहल करने में विफल रहे हैं। शेयरधारकों के मुताबिक बैंक को पूंजी की बुरी तरह से जरूरत है। शेयरधारकों को पूंजी बढ़ाने की किसी भी योजना के बारे में नहीं बताया गया है, बल्कि अंधेरे में रखा गया।
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पहले भी हो चुका विवाद: बता दें कि पहले भी धनलक्ष्मी बैंक के मैनेजमेंट में इस तरह का विवाद हो चुका है। बैंक के पूर्व सीईओ सुनील गुरबक्सानी सितंबर 2020 में एक शेयरधारक से मनमुटाव की वजह से बाहर हो गए थे। इसके बाद शिवन जेके को सीईओ के रूप में नियुक्त किया गया था। शिवन पहले भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में काम कर चुके थे।