भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण यानी इरडा के ताजा सर्कुलर के मुताबिक देश में कुछ गंभीर बीमारियों की नए सिरे से परिभाषा तय कर दी गई है। जानकारों के मुताबिक नई व्यवस्था में पहले के मुकाबले लोगों के गंभीर बीमारियों से जुड़े बीमा दावे रद्द होने की आशंका कम हो जाएगी। साथ ही बीमा कंपनियों को भी इस बारे में स्पष्ट संदेश मिलेगा कि गंभीर बीमारियों से जुड़े बीमा कवर में किन बीमारियों को शामिल किया जाना है।
इन बीमारियों को किया गया है शामिल
नई परिभाषा के मुताबिक कैंसर पॉलिसी में गंभीरता को बताते हुए ल्यूकेमिया, लिम्फोमा एंड सर्कोमा को गंभीर बीमारी में शामिल किया गया है, बाकी कैंसर सामान्य बीमा पॉलिसी में ही कवर होंगे। इसके अलावा मल्टिपल सिरोसिस और आवाज का खो जाना जैसी स्थिति के साथ होने वाली परेशानियों को गंभीर बीमारी की परिभाषा से जुड़े दायरे में रखा गया है। 2020 में आईआरडीए ने गंभीर बीमारियों की पूरी सूची तैयार की थी। अब उसी सूची में इन बीमारियों को नए सिरे से परिभाषित किया गया है।
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हालांकि गंभीर बीमारी से जुड़ी पॉलिसी का खर्चा इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति किस शहर में रहता है या फिर उसे किन बीमारियों की आशंका के लिए कवर चाहिए। विशेषज्ञों के मुताबिक नए नियमों से बीमा दावों के निपटान में आसानी होगी। केयर रेटिंग के इंश्योरेंस रिसर्च हेड सौरभ भालेराव ने हिन्दुस्तान को बताया कि कई मामलों में नियमों में स्पष्टीकरण न होने से बीमार व्यक्ति को दावों के निपटान के लिए कई जगह भटकना पड़ता था और बीमा कंपनियों की तरफ से दावा राशि मिलने में दिक्कत होती थी। अब इरडा की तरफ से परिभाषा में सफाई मिलने से उनका बीमा दावा खारिज नहीं होगा और बीमा कंपनी को भी बीमा की दावा राशि देने में आसानी होगी।
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अभी दो पॉलिसी खरीदने की मजबूरी
गंभीर बीमारियों में ज्यादा खर्च की आशंका के साथ लोग सामान्य बीमा पॉलिसी के साथ गंभीर बीमारी से जुड़ी पॉलिसी भी खरीद लेते हैं। इसमें इलाज के लिए मिलने वाली रकम बढ़ जाती है साथ ही इलाज के दौरान, उसके पहले या बाद में होने वाले खर्च से भी काफी राहत रहती है। गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को कई तरह के डॉक्टरों के साथ कई बार फॉलोअप की भी जरूरत होती है। ऐसे में पॉलिसी में इस कवर के साथ उसके सभी तरह के खर्चे आसानी से पूरे होते रहते हैं।
बाकी गंभीर बीमारियां सामान्य बीमा के दायरे में रहेंगी
जानकारों की राय में बाकी बीमारियों की गंभीरता का बीमा सामान्य हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में होता रहेगा। सामान्य तौर पर बीमा लेते समय लोगों के जहन में यह बातें होती हैं कि एक ऐसी पॉलिसी होनी चाहिए जिससे न सिर्फ अस्पताल का खर्च निपट जाए बल्कि उन्हें इलाज के दौरान खर्च की चिंता न हो। आईसीआईसीआई लोम्बार्ड के क्लेम सेटेलमेंट विभाग के प्रमुख संजय दत्ता ने बताया है कि पहले की परिभाषा के मुताबिक अब उसमें कुछ बदलाव किए गए हैं। नए नियमों से कंपनियों को दावा देने में पहले के मुकाबले ज्यादा आसानी होगी।
देश में 30 फीसदी लोगों के पास स्वास्थ्य बीमा नहीं
नीति आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में लगभग 30 फीसदी या 42 करोड़ आबादी के पास कोई भी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी नहीं है। आयुष्मान भारत के तहत प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना आबादी के निचले 50 फीसदी या 70 करोड़ व्यक्तियों को स्वासथ्य बीमा कवर प्रदान करती हैं वहीं 20 फीसदी आबादी या 25 करोड़ व्यक्ति सामाजिक स्वास्थ्य बीमा और निजी स्वैच्छिक स्वास्थ्य बीमा के स्वास्थ्य बीमा का उपयोग करते हैं।