आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने की लास्ट डेट 31 जुलाई है। पिछली बार की तरह इस बार इसकी डेड लाइन बढ़ने के आसार बिल्कुल नहीं हैं। एसेसमेंट ईयर 2023-24 के लिए अब तक दो करोड़ से अधिक आयकर रिटर्न भरे जा चुके हैं। यह जानकारी खुद आयकर विभाग ने मंगलवार को ट्विटर करके दी।अगर आप अब तक नहीं भरे हैं तो अंतिम तिथि से पहले जरूर भर लें।
अब आपके लिए यह जानना जरूरी है कि अगर आपकी इनकम 5 लाख रुपये से कम है तो क्या आईटीआर दाखिल नहीं करना पड़ेगा? आपको लगता होगा कि आप पर कोई टैक्स नहीं बन रहा तो फालतू का यह काम क्यों करें? जनाब! ऐसी गलती मत करें। पहले यह समझ लें।
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सीए अजय बगड़िया बताते हैं कि अगर किसी की आय 5 लाख रुपये से कम है तो उन्हें टैक्स नहीं देना पड़ता है। उन्हें धारा 87ए के तहत 12,500 रुपये की छूट मिलती है। इसलिए नहीं कि उनकी आय पर 5 लाख रुपये तक छूट है। वास्तविक छूट सीमा केवल 2.5 लाख रुपये है।
NIL Return क्या है?
बगड़िया शून्य आईटीआर के बारे में बताते हुए कहते हैं कि Nil Retrun एक ऐसे आयकर रिटर्न को बताता है, जहां करदाता पर कोई टैक्स की देनदारी नहीं होती है। यह तब हो सकता है जब किसी व्यक्ति की आय मूल छूट सीमा से कम हो या जब नेट इनकम कटौती और छूट का दावा करने के बाद छूट सीमा से नीचे हो जाती है। शून्य रिटर्न एक आईटीआर है जो विशेष रूप से आयकर विभाग को यह घोषित करने के लिए दायर किया जाता है कि संबंधित वित्तीय वर्ष में कोई कर नहीं चुकाया गया है।
सीए संतोष मिश्रा ने बताया, “जब किसी व्यक्तिगत करदाता की आय एक वित्तीय वर्ष में 2.5 लाख रुपये से कम होती है तो उस पर कोई टैक्स नहीं बनता। ऐसे व्यक्तियों को आयकर रिटर्न दाखिल करने की आवश्यकता नहीं होती है, क्योंकि ऐसे लोग टैक्स ब्रैकेट में नहीं आते, लेकिन अगर अपनी आय 2.5 लाख रुपये से कम होने पर भी आईटीआर दाखिल करते हैं तो इसे ‘निल रिटर्न’ कहा जाता है। ”
NIL रिटर्न कब दाखिल करना चाहिए?
डाक्यूमेंटेशन और रिकॉर्ड-कीपिंग: शून्य आईटीआर दाखिल करने से वित्तीय लेनदेन और इनकम डिटेल्स का रिकॉर्ड बनाए रखने में मदद मिलती है। सीए अभिनंदन पांडेय कहते हैं कि यदि आप अभी शुरुआत कर रहे हैं और आपकी कुल आय टैक्सेबल सीमा से कम है, लेकिन आप इसका रिकॉर्ड रखना चाहते हैं तो आपको अपना निल रिटर्न दाखिल करना होगा।
इनकम प्रूफ: शून्य आईटीआर आय के प्रमाण के रूप में कार्य करता है। यह लोन, वीजा या अन्य वित्तीय लेनदेन के लिए आवेदन करते समय सहायक हो सकता है, जिसके लिए आय सत्यापन की आवश्यकता होती है। शून्य आईटीआर दाखिल करने की पात्रता मुख्य रूप से करदाता की कर देनदारी सीमा से नीचे आने वाली आय पर आधारित है।
लोन मिलने में आसानी: आयकर रिटर्न प्रमाणित आय प्रमाण के रूप में काम करता है, जिससे लोन देने वाले संस्थानों से लोन लेना आसान हो जाता है।
छात्रवृत्ति आवेदन: कुछ छात्रवृत्तियों के लिए छात्रों को आयकर रिटर्न प्रमाण जमा करने की आवश्यकता हो सकती है। सीए अजय बगड़िया ने कहा, “भले ही आय मूल छूट से कम हो, आईटीआर दाखिल करने से छात्रवृत्ति आवेदन प्रक्रिया में मदद मिल सकती है।”
टीडीएस का रिफंड: यदि किसी टैक्सपेयर का टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) कटता है तो वह शून्य आईटीआर दाखिल करने से वित्तीय संस्थानों द्वारा काटी गई टीडीएस राशि की वापसी का दावा करने में सक्षम हो सकता है।
वीजा प्रक्रिया: सीए संतोष मिश्रा ने कहा कि निल रिटर्न दाखिल करने से आपको वीजा या क्रेडिट कार्ड आवेदन में मदद मिलती है क्योंकि यह आपकी आय का प्रमाण बन जाता है।
टैक्स रिफंड का दावा करना: निल आईटीआर दाखिल करके व्यक्ति भुगतान किए गए अतिरिक्त कर के रिफंड का दावा कर सकते हैं।
लॉस को कैरी फार्वर्ड करने में सहायक: शून्य आईटीआर दाखिल करके व्यक्ति वित्तीय वर्ष के दौरान पूंजीगत घाटे, व्यापार घाटे या किसी अन्य नुकसान को आगे बढ़ा सकते हैं। इन नुकसानों को भविष्य की कर योग्य आय के खिलाफ समायोजित किया जा सकता है, जिससे बाद के वर्षों में कर देनदारी कम हो सकती है।